क्या जीएसटी सुधार से 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को 1-1.5 ट्रिलियन रुपए की बचत होगी? : प्रह्लाद जोशी

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में बड़ी बचत की उम्मीद है।
- सौर और पवन उपकरणों पर जीएसटी दर में कटौती की गई है।
- भारत रिन्यूएबल एनर्जी में विश्व में चौथे स्थान पर है।
- 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता का लक्ष्य।
- ये सुधार जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक होंगे।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि जीएसटी सुधारों के माध्यम से 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को 1-1.5 ट्रिलियन रुपए की बचत की उम्मीद है, जो देश को 2027 तक विकसित भारत की ओर बढ़ने में एक महत्वपूर्ण सहारा प्रदान करेगी।
जोशी ने एक मीडिया इवेंट में जानकारी साझा करते हुए कहा कि ये क्रांतिकारी सुधार शासन को अधिक सक्षम बना रहे हैं और 2030 तक बड़ी बचत की संभावना के संकेत दे रहे हैं।
सौर और पवन उपकरणों पर जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इनमें सौर कुकर, बायोगैस प्लांट, सौर ऊर्जा आधारित उपकरण, पवन चक्कियां, लैम्प और फोटो वोल्टेइक सेल शामिल हैं।
केंद्र का मानना है कि जीएसटी सुधार रिन्यूएबल एनर्जी, वेस्ट मैनेजमेंट, बायोडिग्रेडेबल उत्पाद और ग्रीन मोबिलिटी को अधिक सुलभ बनाकर भारत के जलवायु लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये बदलाव घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करेंगे और सस्टेनेबल इंडस्ट्रीज को समर्थन प्रदान करेंगे।
भारत रिन्यूएबल एनर्जी की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी और पवन ऊर्जा के मामले में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, जबकि सोलर पावर कैपेसिटी में तीसरे स्थान पर है। यह रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाता है।
भारत की कुल इंस्टॉल्ड पावर कैपेसिटी 484.82 गीगावाट है, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी का योगदान अब 50.07 प्रतिशत है, जो 2030 के लक्ष्य से पांच वर्ष पहले हासिल किया गया है।
देश में 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी हैं, जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।