क्या विदेशी निवेशक फिर से भारतीय बाजार में सक्रिय हो रहे हैं?

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क्या विदेशी निवेशक फिर से भारतीय बाजार में सक्रिय हो रहे हैं?

सारांश

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की वापसी हो रही है, और उन्होंने अक्टूबर में 3,300 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। यह जानकारी डिपॉजिटरी के आंकड़ों से सामने आई है। क्या यह सकारात्मक संकेत है?

Key Takeaways

  • एफपीआई ने अक्टूबर में 3,300 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया।
  • भारत के विकास और आय की संभावनाएं बढ़ीं।
  • अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते वैश्विक धारणा प्रभावित हुई।
  • भारतीय बाजार में सकारात्मक संकेत दिख रहे हैं।
  • नए एफपीआई प्रवाह से बाजार में स्थिरता की उम्मीद है।

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) ने इस महीने एक बार फिर से शुद्ध खरीदार के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है और लगभग 3,300 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। यह जानकारी डिपॉजिटरी द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के अनुसार, एफपीआई ने 10 अक्टूबर तक 3,358 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश शामिल हैं।

जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार, डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की ट्रेडिंग रणनीति में यह परिवर्तन महत्वपूर्ण है और इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं।

पहला कारण - भारत और अन्य बाजारों के बीच का वैल्यूएशन गैप, जो पहले अधिक था, हाल के हफ्तों में अन्य बाजारों में तेजी और भारतीय बाजार में समेकन के चलते काफी घट गया है।

दूसरा कारण - बाजार विशेषज्ञों ने भारत के विकास और आय की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। जीएसटी में कटौती और कम ब्याज दरों के कारण, वित्त वर्ष 27 में भारतीय कंपनियों की आय में वृद्धि की उम्मीद है।

10 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के अंतिम चार कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशक कैश मार्केट में शुद्ध खरीदार बने रहे।

पिछले चार कारोबारी सत्रों में कैश मार्केट में खरीदारी का आंकड़ा 3,289 करोड़ रुपए था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयात पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी और चीन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण अमेरिकी निर्यातों पर प्रतिबंध लगाने के कारण, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की पुनरावृत्ति ने वैश्विक बाजार में नकारात्मक धारणा को जन्म दिया है।

विश्लेषकों का मानना है कि आगे चलकर एफपीआई का प्रवाह इस बात पर निर्भर करेगा कि यह नया व्यापार युद्ध किस दिशा में बढ़ता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के रिसर्च हेड (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने बताया कि पिछले शुक्रवार को निफ्टी 104 अंक बढ़कर 25,285 पर बंद हुआ। इसका मुख्य कारण वैश्विक धारणा में सुधार था, जो इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम योजना पर सहमति बनने से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव में कमी के कारण हुआ।

उन्होंने कहा, "नए सिरे से एफपीआई की खरीदारी ने सकारात्मक धारणा को और बढ़ावा दिया है। इसके अतिरिक्त, भारत और ब्रिटेन ने शिक्षा, महत्वपूर्ण खनिजों, जलवायु परिवर्तन और रक्षा जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग की घोषणा की है, जो बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है।"

Point of View

हमें यह स्पष्ट होता है कि विदेशी निवेशकों की वापसी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह न केवल भारतीय कंपनियों की संभावनाओं को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक बाजार के प्रति भी एक भरोसा जगाता है। हमें उम्मीद है कि इस प्रवृत्ति के साथ ही भारतीय बाजार में और अधिक स्थिरता आएगी।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

एफपीआई का निवेश क्यों महत्वपूर्ण है?
एफपीआई का निवेश भारतीय बाजार में तरलता बढ़ाता है और कंपनियों की विकास संभावनाओं को मजबूत करता है।
क्या विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में स्थायी रूप से लौट रहे हैं?
हाल के संकेत बताते हैं कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में वापसी कर रहे हैं, लेकिन यह आगे की स्थिति पर निर्भर करेगा।
भारतीय कंपनियों की आय में वृद्धि की अपेक्षा क्यों है?
जीएसटी में कटौती और कम ब्याज दरों के कारण भारतीय कंपनियों की आय में वृद्धि की उम्मीद है।
क्या अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का प्रभाव होगा?
हाँ, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की स्थिति से वैश्विक बाजार में नकारात्मक धारणा उत्पन्न हो सकती है।
एफपीआई का प्रवाह किस पर निर्भर करेगा?
एफपीआई का प्रवाह व्यापार युद्ध की दिशा और आर्थिक संकेतों पर निर्भर करेगा।