क्या पीएमएमवीवाई योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष पंजीकरण अभियान 15 अगस्त तक बढ़ाया गया है?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- विशेष पंजीकरण अभियान की अवधि 15 अगस्त तक बढ़ाई गई है।
- इस योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से राशि ट्रांसफर की जाती है।
- आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता जागरूकता के लिए सक्रिय हैं।
- सिस्टम में कई डिजिटल सुधार किए गए हैं।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत चल रहे विशेष पंजीकरण अभियान की अवधि 15 अगस्त तक बढ़ा दी है। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सोमवार को दी।
पीएमएमवीवाई योजना की शुरुआत 2010 में हुई थी और इसे 2017 में नया नाम दिया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषणयुक्त आहार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और बालिका के प्रति सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है।
योजना के तहत पहली संतान के लिए दो किस्तों में 5,000 रुपए और दूसरी बालिका संतान के जन्म पर 6,000 रुपए की एकमुश्त सहायता राशि दी जाती है।
मंत्रालय के अनुसार, 31 जुलाई 2025 तक 4.05 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से 19,028 करोड़ रुपए से अधिक की राशि उनके बैंक या डाकघर खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है।
इस जागरूकता एवं नामांकन अभियान में आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, ताकि अधिकतम पात्र महिलाएं योजना में पंजीकृत हो सकें।
यह योजना मिशन शक्ति के अंतर्गत 'समर्थ्य' उप-योजना के तहत चलाई जा रही है और मार्च 2023 में शुरू किए गए पीएमएमवीवाई सॉफ़्टवेयर के माध्यम से लागू की जा रही है। इसमें आधार प्रमाणीकरण, एनपीसीआई सत्यापन और डायरेक्ट ट्रांसफर की व्यवस्था डिजिटल रूप से सुनिश्चित की गई है।
योजना की पहुंच और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए पोर्टल में कई सुधार किए गए हैं, जैसे कि एकीकृत शिकायत निवारण मॉड्यूल, बहुभाषी और टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (14408), आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण हेतु फेस रिकग्निशन सिस्टम और संभावित लाभार्थियों की ड्यू-लिस्ट शामिल हैं।
सरकार का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से देशभर में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना और महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी सहयोग प्रदान करना है।