क्या संविधान ने हमें बोलने की आजादी दी है, सुप्रीम कोर्ट हमें क्या सिखा सकता है?: जितेंद्र आव्हाड

सारांश
Key Takeaways
- संविधान ने हमें बोलने की आजादी दी है।
- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ राजनीतिक बहस का कारण बन सकती हैं।
- नक्सलवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर विचार विमर्श आवश्यक है।
- सनातन धर्म और हिंदू धर्म की परिभाषा में अंतर है।
- सभी नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
मुंबई, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत-चीन तनाव पर की गई टिप्पणी के लिए फटकार लगाई है। इस निर्णय के बाद राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि क्या अब हमें यह भी सुप्रीम कोर्ट सिखाएगा कि हमें क्या बोलना है? मुझे जो बोलने की आजादी संविधान ने दी है, क्या वह भी छिन जाएगी?
उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश में कितने गांव के नाम बदले गए हैं? क्या वह सभी नाम हमने ही बदले? मुझे नहीं पता कि सर्वोच्च न्यायालय ने क्या टिप्पणी की है। मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन गलवान घाटी में जो कुछ भी हुआ, उसकी जांच सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए। हमें क्यों कहा जाता है कि सबूत लेकर आओ? आप सरकार से प्रश्न पूछिए। सवाल पूछने वालों को सबूत लाने के लिए नहीं कहें। आज हम कहते हैं कि नाथूराम गोडसे आतंकवादी था, वह आतंकवादी था तो था, अब इसमें हम क्या सबूत दें? जब तक दुनिया है तब तक कहा जाएगा कि देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे था।
जितेंद्र आव्हाड ने संजय राउत के नक्सलवाद और आतंकवाद पर दिए बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद का जन्म शोषण के खिलाफ हुआ। अगर आप इतिहास को पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी नामक गांव में जमींदारी के खिलाफ आंदोलन हुआ। इतिहास को पढ़िए, फिर आपको शोषण के कारण क्या-क्या होते हैं, इसका पता चलेगा।
जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म पर अपने हालिया बयान से एक बार फिर राजनीतिक बहस को हवा दी है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म पुरानी और रूढ़िगत परंपराओं को मानता है, जो जाति व्यवस्था और ऊंच-नीच की मानसिकता को बढ़ावा देती है, जबकि हिंदू धर्म बदलाव और समानता की बात करता है। किसके प्रमाण पत्र पर 'सनातन धर्म' लिखा है? हमारे प्रमाण पत्र पर 'हिंदू धर्म' लिखा है। जो बदलाव चाहता है, वह हिंदू है। जो बदलाव नहीं चाहता, वह सनातनी है।