क्या भारत में सितंबर में कारोबारी गतिविधियों में इजाफा हुआ है? सर्विसेज पीएमआई 60.9

सारांश
Key Takeaways
- सर्विसेज पीएमआई 60.9, जो वृद्धि का संकेत है।
- मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 57.7 पर रहा।
- व्यावसायिक गतिविधियों में सुधार का संकेत।
- स्थिर घरेलू मांग और नीतिगत स्थिरता बनी हुई है।
- रोजगार का स्तर स्थिर है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के सर्विसेज सेक्टर में सितंबर महीने में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है, जिसके तहत एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज परचेंसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 60.9 दर्ज किया गया है। यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल द्वारा सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट में प्राप्त हुई।
जब पीएमआई 50 के ऊपर होता है, तो इसे कारोबारी गतिविधियों में वृद्धि के रूप में माना जाता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएमआई के आंकड़े भारत की सर्विस इकोनॉमी में निरंतरता का संकेत देते हैं, जिसे मजबूत मांग, नए व्यावसायिक अवसरों और कंपनियों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण से समर्थन मिला है।
यह क्षेत्र इस वर्ष भारत की समग्र आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है।
एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री, प्रांजुल भंडारी ने कहा, "भारत के सर्विसेज सेक्टर में व्यावसायिक गतिविधियों में अगस्त के उच्च स्तर से सितंबर में थोड़ी कमी आई है। हालांकि अधिकांश ट्रैकर्स में सुधार देखा गया है, लेकिन सर्वेक्षण में कोई भी संकेत नहीं मिला है जो यह दर्शाए कि सर्विसेज में वृद्धि की गति में कोई महत्वपूर्ण गिरावट आई है। भविष्य की गतिविधियों का सूचकांक मार्च के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो सर्विस प्रदाता कंपनियों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाता है।"
एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित डेटा में यह भी बताया गया कि सितंबर में भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में भी वृद्धि देखी गई है, और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 57.7 पर स्थित रहा।
इससे पहले, अगस्त में सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई क्रमशः 62.9 और 59.3 पर थे।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि रोजगार के स्तर और इनपुट इन्वेंट्री स्थिर बनी हुई है, जो आने वाले महीनों में बिजनेस आउटलुक में विश्वास को दर्शाती है।
एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, सितंबर में पिछले 17 वर्षों में परिचालन स्थितियों में सबसे तेज सुधार हुआ है, जिसमें अधिकांश गति विज्ञापन की सफलता और मध्यवर्ती एवं पूंजीगत वस्तुओं की श्रेणियों में मांग में वृद्धि से आई।
विश्लेषकों का मानना है कि सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज दोनों क्षेत्रों में थोड़ी नरमी आई है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में समग्र विकास की गति स्थिर बनी हुई है, जिसे स्थिर घरेलू मांग, नीतिगत स्थिरता और बेहतर होते व्यावसायिक विश्वास का समर्थन प्राप्त है।