क्या टीबी जांच की नई तकनीक से सांस से पता चलेगा बीमारी का?

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क्या टीबी जांच की नई तकनीक से सांस से पता चलेगा बीमारी का?

सारांश

एक नई तकनीक से सांस के जरिए टीबी का पता लगाने की संभावना बढ़ गई है। यह शोध टीबी के निदान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। जानें कैसे यह उपकरण बलगम के बिना भी टीबी की पहचान कर सकता है और इसके फायदे क्या हैं।

Key Takeaways

  • टीबी की नई जांच तकनीक बलगम के बिना काम करती है।
  • टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) नामक उपकरण का विकास किया गया है।
  • यह उपकरण सांस के जरिए टीबी के बैक्टीरिया का पता लगाता है।
  • टीबी के मरीजों के लिए समय पर इलाज की सुविधा बढ़ाई जा सकती है।
  • यह शोध कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट द्वारा किया गया है।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वैज्ञानिकों ने एक नया उपकरण तैयार किया है जो सांस के द्वारा निकलने वाली हवा में मौजूद ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के बैक्टीरिया के डीएनए की पहचान कर सकता है।

टीबी एक गंभीर बीमारी है जो हवा के माध्यम से फैलती है और यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है।

आमतौर पर, टीबी की जांच के लिए मरीजों से बलगम का नमूना लिया जाता है, लेकिन कई बार मरीज बलगम निकालने में असमर्थ होते हैं या खांसी इतनी नहीं होती कि बलगम निकल सके। ऐसे में बीमारी का पता लगाना बहुत कठिन हो जाता है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक उपकरण विकसित किया है जो सांस से निकलने वाली हवा में मौजूद छोटे-छोटे कणों (एरोसोल) में टीबी के डीएनए की जांच करता है।

यह शोध स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है और इसे ओपन फोरम इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 137 वयस्क मरीजों पर इस उपकरण का परीक्षण किया।

इस उपकरण का नाम टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) है। यह इलेक्ट्रोस्टैटिक तकनीक का उपयोग करके सांस में मौजूद एरोसोल को इकट्ठा करता है। इसके बाद इन नमूनों की जांच उसी तरह की जाती है, जैसा कि बलगम के नमूनों में बैक्टीरिया खोजने के लिए किया जाता है। इस जांच को एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ अल्ट्रा तकनीक कहा जाता है।

शोध में पता चला कि जिन मरीजों की बलगम जांच पॉजिटिव थी, उनमें से करीब 47 प्रतिशत में सांस की हवा से भी टीबी का डीएनए पाया गया।

जिन मरीजों के बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक थी, उनके सांस के नमूनों में टीबी की पहचान की संवेदनशीलता बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई। इस जांच में सही पहचान करने की क्षमता 77 प्रतिशत पाई गई।

शोध में यह भी पाया गया कि पुरुष जिनके बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक थी, उनमें हवा से टीबी का पता लगाना आसान था। इसके विपरीत, जिन मरीजों को बुखार था, उनमें सांस की हवा से टीबी का पता लगाना थोड़ा कठिन था।

कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ विभाग के शोधकर्ता जय अचर ने कहा, ''यह खोज टीबी के संक्रमण और फैलाव को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। खासकर उन परिस्थितियों में, जहां बलगम लेना कठिन होता है। यह नया तरीका संक्रमण का पता जल्दी लगाने में मदद करेगा। इससे टीबी के मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा और बीमारी के फैलाव को रोका जा सकेगा।''

Point of View

बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। हमें इस विकास का स्वागत करना चाहिए और इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

यह नई तकनीक कैसे काम करती है?
यह तकनीक सांस में मौजूद एरोसोल में टीबी के बैक्टीरिया के डीएनए की पहचान करती है।
क्या यह तकनीक बलगम परीक्षण से बेहतर है?
हाँ, यह तकनीक उन मरीजों के लिए बेहतर है जो बलगम निकालने में असमर्थ होते हैं।
इस उपकरण का नाम क्या है?
इस उपकरण का नाम टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) है।
क्या यह उपकरण सभी मरीजों पर काम करेगा?
यह उपकरण उन मरीजों पर अधिक प्रभावी है जिनके बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक होती है।
इस तकनीक का परीक्षण कहाँ किया गया?
इस तकनीक का परीक्षण दक्षिण अफ्रीका के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया गया।