क्या पीछा किए जाने से महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- पीछा करने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
- निरोधक आदेश प्राप्त करने से भी जोखिम में वृद्धि होती है।
- अध्ययन में 66,000 से अधिक महिलाओं का डेटा शामिल किया गया है।
- स्वास्थ्य और जीवनशैली के कारक भी महत्वपूर्ण हैं।
- महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जिन महिलाओं का पीछा किया गया है, उनमें हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है। यह जानकर चौंकाने वाला तथ्य एक अध्ययन में सामने आया है।
अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, लगभग 3 में से 1 महिला अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर पीछा किए जाने का शिकार हुई है।
इस अध्ययन को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की प्रमुख पत्रिका 'सर्कुलेशन' में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सामान्य रूपों, जैसे पीछा करना या उत्पीड़न, जैसे अवांछित पत्र प्राप्त करना, जो उन्हें भयभीत करते हैं, पर हृदय संबंधी शोध में शायद ही चर्चा की जाती है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया, "पीछा करने और हृदय रोग के बीच संबंध मनोवैज्ञानिक तनाव के कारण हो सकता है, जो तंत्रिका तंत्र को बाधित कर सकता है, रक्त वाहिकाओं के कार्य को प्रभावित कर सकता है और अन्य जैविक तंत्रों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।"
इस शोध में यह भी पाया गया कि जिन महिलाओं ने सुरक्षा के लिए निरोधक आदेश प्राप्त किया, उन्हें हृदय रोग विकसित होने का जोखिम 70 प्रतिशत अधिक था। निरोधक आदेश एक कानूनी दस्तावेज है, जो पीड़ित और अपराधी के बीच संपर्क को सीमित करने का प्रयास करता है और इसे गंभीर हिंसा का संकेत माना जाता है।
इस अध्ययन में औसतन 46 वर्ष की 66,000 से अधिक महिलाओं के आंकड़े शामिल किए गए, जो 2001 से 2021 के बीच पीछा, निरोधक आदेश और हृदय रोग या स्ट्रोक के विकास का शिकार हुईं।
विश्लेषण में पाया गया कि कुल मिलाकर, अध्ययन में शामिल लगभग 12 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनका पीछा किया गया था, जबकि लगभग 6 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने निरोधक आदेश प्राप्त किया था। शोध के 20 वर्षों के दौरान अध्ययन की गई सभी महिलाओं में से लगभग 3 प्रतिशत ने नए हृदय रोग या स्ट्रोक की सूचना दी।
इसमें पाया गया कि स्वास्थ्य और जीवनशैली संबंधी व्यवहार, दवाइयाँ, स्वास्थ्य स्थितियाँ, बचपन में दुर्व्यवहार और अवसाद के लक्षणों जैसे अन्य स्व-रिपोर्ट किए गए हृदय संबंधी जोखिम कारकों के बावजूद, पीछा करने और निरोधक आदेशों से जुड़े दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम बने रहे।
बोस्टन स्थित हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की महामारी विज्ञान शोध सहयोगी रेबेका बी. लॉन ने कहा, "पीछा करना अक्सर हिंसा का एक ऐसा रूप माना जाता है, जिसमें शारीरिक संपर्क शामिल नहीं होता, जिससे यह कम गंभीर लग सकता है।"
लॉन ने कहा कि पीछा करने या निरोधक आदेश मिलने और महिलाओं के दिल की सेहत के बीच संबंध को समझने के लिए और रिसर्च और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग आवश्यक है।
–राष्ट्र प्रेस
जेपी/एबीएम