क्या पीएम 2.5 के कुछ घटक डिप्रेशन का खतरा बढ़ाते हैं, विशेष रूप से बुजुर्गों में?
सारांश
Key Takeaways
- वायु प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- पीएम 2.5 के घटक, जैसे सल्फेट और सॉइल डस्ट, डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
- 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह प्रभाव विशेष रूप से अधिक देखा गया है।
- अध्ययन में 2 करोड़ 36 लाख मेडिकेयर लाभार्थियों को शामिल किया गया था।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी नीतियाँ बनाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक हालिया शोध में यह पता चला है कि वायु प्रदूषण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) के कुछ महत्वपूर्ण घटक, जैसे सल्फेट, अमोनियम, एलीमेंटल कार्बन और मिट्टी की धूल (सॉइल डस्ट), यदि लंबे समय तक संपर्क में रहें, तो डिप्रेशन का खतरा बढ़ा सकते हैं।
यह प्रभाव विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक देखा गया है, खासकर उन लोगों में जो हृदय-संबंधी या न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से ग्रस्त हैं। यह अध्ययन अमेरिकी मेडिकेयर लाभार्थियों के एक बड़े समूह पर आधारित है और इसे जेएएमए नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
डिप्रेशन एक वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है, जो विशेष रूप से बुजुर्गों में विकलांगता की वजह बनती है। पहले के अध्ययनों में वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 2.5, को डिप्रेशन से जोड़ा गया है, लेकिन पीएम 2.5 के विभिन्न घटकों के प्रभाव और कोमॉर्बिड की भूमिका पर अधिक जानकारी नहीं थी।
अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, "हमारे नतीजों से स्पष्ट होता है कि डिप्रेशन के रिस्क के साथ पीएम 2.5 के मिश्रण का संबंध अकेले पीएम 2.5 से कहीं अधिक था, और यह भी दर्शाता है कि मिट्टी के कण, सल्फेट और एलीमेंटल कार्बन इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार थे।"
शोध में सिंगल-पॉल्यूटेंट और मल्टी-पॉल्यूटेंट मॉडल्स का उपयोग किया गया। समायोजनों में आयु, लिंग, नस्ल, मेडिकेड योग्यता, सामाजिक-आर्थिक कारक, कैलेंडर वर्ष और क्षेत्र शामिल थे। कोमॉर्बिड स्थिति (जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज, अल्जाइमर, डिमेंशिया) के आधार पर स्ट्रैटिफाइड एनालिसिस भी किया गया।
इस अध्ययन का उद्देश्य पीएम 2.5 के प्रमुख घटकों (एलीमेंटल कार्बन, अमोनियम, नाइट्रेट, सल्फेट, सॉइल डस्ट, ऑर्गेनिक कार्बन) के अलग और संयुक्त प्रभावों की जांच करना था, ताकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहतर नीतियों का निर्माण किया जा सके।
अध्ययन में जनवरी 2000 से दिसंबर 2018 तक के 2 करोड़ 36 लाख से अधिक मेडिकेयर लाभार्थियों को शामिल किया गया। ये सभी 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और अमेरिका के प्रमुख क्षेत्रों में निवास करते थे।
सल्फेट (जीवाश्म ईंधन जलाने से), एलीमेंटल कार्बन (ट्रैफिक/बायोमास जलाने से), और सॉइल डस्ट (प्राकृतिक/मानवजनित, जिसमें धातु/सिलिका) ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, सूजन और न्यूरोटॉक्सिसिटी के माध्यम से मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं, जिससे डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है।
टीम ने कहा, "हमारे निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि कोमॉर्बिडिटी पीएम 2.5 के एक्सपोजर के साथ मिलकर डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ा सकती है।"