क्या चालू वित्त वर्ष में यूपीआई फ्रॉड में 805 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है?

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क्या चालू वित्त वर्ष में यूपीआई फ्रॉड में 805 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है?

सारांश

चालू वित्त वर्ष में यूपीआई फ्रॉड में 805 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। जानें कैसे सरकार और बैंकों ने इसे रोकने के लिए कदम उठाए हैं। क्या यह बढ़ती धोखाधड़ी का संकेत है?

Key Takeaways

  • यूपीआई धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है।
  • सरकार ने सुरक्षा उपायों को लागू किया है।
  • डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी के साथ धोखाधड़ी भी बढ़ी है।
  • साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • नागरिकों के लिए रिपोर्टिंग पोर्टल उपलब्ध है।

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में चालू वित्त वर्ष 2026 के नवंबर तक यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से 805 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी दर्ज की गई है, जिसमें 10.64 लाख घटनाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्षों की तुलना में बढ़ा है, क्योंकि यूपीआई का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी साझा की।

वित्त वर्ष 2024-25 में यूपीआई से जुड़े धोखाधड़ी के 981 करोड़ रुपए के मामले प्रकाश में आए, जिसमें 12.64 लाख घटनाएं शामिल हैं, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 1,087 करोड़ रुपए के साथ 13.42 लाख घटनाओं तक पहुंचा।

मंत्री ने बताया कि देश में डिजिटल भुगतान के लेन-देन में वृद्धि के साथ-साथ धोखाधड़ी की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है।

वित्त वर्ष 2022-23 में यूपीआई से संबंधित 573 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई, जो 2021-22 के मुकाबले काफी ज्यादा थी, तब यह आंकड़ा 242 करोड़ रुपए था। यह बढ़ोतरी डिजिटल भुगतान के उपयोग में वृद्धि के कारण हुई है।

यूपीआई धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने कई कदम उठाए हैं। इनमें ग्राहक के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच डिवाइस बाइंडिंग, पिन के जरिए दो-स्टेप वेरिफिकेशन, दैनिक लेन-देन सीमा और कुछ विशेष उपयोग मामलों पर सीमाएं शामिल हैं।

एनपीसीआई सभी बैंकों को धोखाधड़ी की निगरानी के लिए एक समाधान प्रदान करता है, जो एआई/एमएल आधारित मॉडल्स का उपयोग करके अलर्ट जनरेट करता है और संदिग्ध लेन-देन को अस्वीकार करता है। इसके साथ ही आरबीआई और बैंकों ने साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं, जिसमें एसएमएस, रेडियो अभियान और प्रचार शामिल हैं।

इसके अलावा, सभी नागरिकों को साइबर अपराध, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी भी शामिल है, की रिपोर्ट करने में मदद के लिए गृह मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल और साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर '1930' शुरू किया है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) और 'चक्षु' सुविधा की शुरुआत की है, जो नागरिकों को कॉल, एसएमएस या व्हाट्सएप पर प्राप्त संदिग्ध धोखाधड़ी वाले संदेशों की रिपोर्ट करने में मदद करती है।

एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर महीने में यूपीआई लेन-देन की संख्या में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 20.47 अरब तक पहुंच गई। इसके अलावा, लेन-देन के मूल्य में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 26.32 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

Point of View

धोखाधड़ी के मामले भी उसी अनुपात में बढ़ रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिसे तुरंत संबोधित करने की आवश्यकता है। सरकार और बैंकों की पहल सकारात्मक हैं, लेकिन इसके लिए जागरूकता और सुरक्षा उपायों को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

यूपीआई धोखाधड़ी के मामले कितने बढ़ गए हैं?
चालू वित्त वर्ष में यूपीआई फ्रॉड के 805 करोड़ रुपए के मामले सामने आए हैं।
सरकार धोखाधड़ी को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है?
सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई ने कई सुरक्षा उपाय लागू किए हैं, जैसे डिवाइस बाइंडिंग और दो-स्टेप वेरिफिकेशन।
क्या डिजिटल भुगतान से धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हो रही है?
जी हां, डिजिटल भुगतान के बढ़ने के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
क्या नागरिकों को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए कोई पोर्टल है?
हाँ, गृह मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल और एक हेल्पलाइन नंबर '1930' शुरू किया है।
यूपीआई का उपयोग कैसे बढ़ रहा है?
एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में यूपीआई लेन-देन की संख्या में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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