क्या '16 अक्टूबर' को जन्मे ये दो लीजेंड्स और एक धावक भारतीय गौरव की कहानी लिखते हैं?

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क्या '16 अक्टूबर' को जन्मे ये दो लीजेंड्स और एक धावक भारतीय गौरव की कहानी लिखते हैं?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि '16 अक्टूबर' को जन्मे दो महान खिलाड़ियों और एक अद्वितीय धावक ने भारतीय खेल जगत में अपनी छाप छोड़ी है? इस लेख में हम पवन कुमार, संकेत महादेव सरगर, और फौजा सिंह की प्रेरणादायक कहानियों को साझा कर रहे हैं। आइए, जानते हैं इनके संघर्ष और सफलताओं के बारे में।

Key Takeaways

  • पवन कुमार ने 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
  • संकेत महादेव सरगर ने 2022 में कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता।
  • फौजा सिंह 100 वर्षीय धावक हैं जिन्होंने मैराथन में इतिहास रचा।
  • इनकी कहानियों से हमें प्रेरणा मिलती है।
  • भविष्य के एथलीटों के लिए उदाहरण हैं।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय खेल जगत के लिए '16 अक्टूबर' का दिन ऐतिहासिक रहा है। इसी दिन दो ऐसे खिलाड़ियों का जन्म हुआ, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया, जबकि एक धावक ने इसी दिन मैराथन में इतिहास रचा था। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

पवन कुमार : दिल्ली स्थित नांगल ठाकरान में साल 1993 में जन्मे पवन कुमार एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं, जिन्होंने साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 86 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2009 में गोल्ड मेडल जीतने के बाद पवन कुमार ने साल 2010 में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। साल 2013 में पवन कुमार के करियर में अहम मोड़ तब आया था, जब उन्होंने जोहान्सबर्ग में आयोजित राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। साल 2013 में रेसलिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पवन कुमार को 'राजीव गांधी बेस्ट रेसलर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2017 में सिल्वर मेडल जीतने के बाद पवन कुमार ने साउथ एशियन गेम्स 2017 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

संकेत महादेव सरगर : साल 2000 में इसी दिन सांगली में जन्मे वेटलिफ्टर संकेत महादेव सरगर ने संघर्ष से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। एक छोटी-सी टपरी चलाने वाले संकेत सुबह साढ़े पांच बजे उठकर ग्राहकों के लिए चाय बनाते, जिसके बाद ट्रेनिंग के लिए जाते। इसके बाद संकेत पढ़ाई करते और शाम को फिर दुकान जाते, जहां कुछ देर काम करने के बाद फिर ट्रेनिंग के लिए जाते।

करीब सात साल इसी दिनचर्या को फॉलो करते हुए संकेत ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 55 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में 248 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक जीता।

फौजा सिंह : साल 2011 में '16 अक्टूबर' के दिन ही फौजा सिंह ने टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन में इतिहास रच दिया था। इस मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा करते हुए फौजा सिंह मैराथन पूरी करने वाले पहले 100 वर्षीय धावक बने।

1 अप्रैल 1911 को जन्मे फौजा सिंह को इस उपलब्धि के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उनके 100वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए एक पत्र भी भेजा था।

इस मैराथन से पहले फौजा सिंह टोरंटो के बिर्चमाउंट स्टेडियम में एक ही दिन में आठ विश्व आयु-समूह रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे। जुलाई 2011 में फौजा सिंह के जीवन पर 'टरबैंड टोर्नेडो' नामक एक किताब लॉन्च की गई थी, जिसे मशहूर कॉलमनिस्ट और लेखक खुशवंत सिंह ने लिखा था। 14 जुलाई 2025 को 114 साल की उम्र में एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद फौजा सिंह का निधन हो गया।

Point of View

बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया है। हमें गर्व है कि ऐसे प्रतिभाशाली एथलीट हमारे देश में हैं जो कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता की नई ऊँचाइयों को छूते हैं।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या पवन कुमार ने किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीता है?
हाँ, पवन कुमार ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 86 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
संकेत महादेव सरगर ने कब और कहाँ रजत पदक जीता?
संकेत महादेव सरगर ने 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 55 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता।
फौजा सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी?
फौजा सिंह ने 100 वर्ष की आयु में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन पूरी करके इतिहास रचा।