क्या ज्ञानेंद्र पांडे ने घरेलू क्रिकेट में अपनी धाक जमा दी, लेकिन भारत के लिए ज्यादा अवसर नहीं मिले?

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क्या ज्ञानेंद्र पांडे ने घरेलू क्रिकेट में अपनी धाक जमा दी, लेकिन भारत के लिए ज्यादा अवसर नहीं मिले?

सारांश

ज्ञानेंद्र पांडे ने घरेलू क्रिकेट में अपनी प्रतिभा से सबको प्रभावित किया है। भले ही उन्हें भारतीय टीम में सीमित अवसर मिले हों, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ उन्हें खास बनाती हैं। जानिए उनके करियर के बारे में विस्तार से।

Key Takeaways

  • ज्ञानेंद्र पांडे का घरेलू क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • उन्होंने 117 फर्स्ट क्लास मैचों में 5,348 रन बनाए हैं।
  • उनका जन्म 12 अगस्त 1972 को लखनऊ में हुआ।
  • ज्ञानेंद्र पांडे ने 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
  • वे वर्तमान में एसबीआई में पीआर एजेंट के रूप में कार्यरत हैं।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हालाँकि क्रिकेटर ज्ञानेंद्र पांडे ने भारत की तरफ से केवल दो मुकाबले खेले हैं, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया है। उनके प्रभावशाली प्रदर्शन ने टीम को कई महत्वपूर्ण मैच

12 अगस्त 1972 को लखनऊ में जन्मे ज्ञानेंद्र पांडे ने भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों जैसे मोहम्मद अजहरुद्दीन, सौरव गांगुली, और राहुल द्रविड़ के साथ खेला है।

उन्हें 24 मार्च 1999 को पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने का मौका मिला। इस बाएं हाथ के स्पिनर ने 10 ओवरों में 39 रन दिए, लेकिन कोई विकेट नहीं ले सके।

अगले मैच में उन्होंने तीन ओवर गेंदबाजी की, जिसमें 21 रन दिए, लेकिन फिर से विकेट लेने में नाकाम रहे।

ज्ञानेंद्र पांडे ने अपने करियर के पहले दोनों मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेले, जिसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।

हालांकि, घरेलू क्रिकेट में वे एक स्थिर और उपयोगी खिलाड़ी साबित हुए। उन्होंने शुरुआत बाएं हाथ के स्पिनर और निचले क्रम के बल्लेबाज के रूप में की, लेकिन फिर बल्लेबाजी में सुधार करते हुए यूपी के मध्य क्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए।

ज्ञानेंद्र पांडे ने 1988-89 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया। 1997 में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया। दलीप ट्रॉफी के फाइनल में 44 रन की पारी और तीन विकेट लेकर उन्होंने सभी का ध्यान खींचा। देवधर ट्रॉफी में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा। चैलेंजर ट्रॉफी में भी उनकी काबिलियत ने उन्हें पहचान दिलाई और इसी वजह से उन्हें 1999 में भारतीय टीम में स्थान मिला।

उन्हें 2005-06 में यूपी की रणजी ट्रॉफी जीतकर सभी को चौंका दिया। एक सीजन बाद, ज्ञानेंद्र पांडे ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।

ज्ञानेंद्र पांडे ने 117 फर्स्ट क्लास मैचों में 165 विकेट लेने के साथ-साथ 5,348 रन बनाए, जिसमें नौ शतक और 30 अर्धशतक शामिल हैं।

लिस्ट-ए क्रिकेट में उन्होंने 82 मैच खेले, जिसमें 89 शिकार करने के साथ 37.10 की औसत से 1,781 रन बनाए। लिस्ट-ए में उनके नाम 12 अर्धशतक हैं।

क्रिकेट में अपने करियर के बाद, ज्ञानेंद्र पांडे ने कोचिंग में भी हाथ आजमाया और वर्तमान में वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में पीआर एजेंट के रूप में कार्यरत हैं।

Point of View

भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर सीमित हों। यह एक प्रेरणादायक यात्रा है जो दर्शाती है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी स्तर पर सफलता प्राप्त की जा सकती है।
NationPress
11/08/2025

Frequently Asked Questions

ज्ञानेंद्र पांडे का क्रिकेट करियर कब शुरू हुआ?
ज्ञानेंद्र पांडे ने 1988-89 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया।
ज्ञानेंद्र पांडे ने कितने अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं?
ज्ञानेंद्र पांडे ने भारत के लिए केवल दो अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं।
ज्ञानेंद्र पांडे का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन क्या था?
ज्ञानेंद्र पांडे ने घरेलू क्रिकेट में 5,348 रन और 165 विकेट लिए हैं।
क्या ज्ञानेंद्र पांडे ने कोचिंग में भी हाथ आजमाया?
हाँ, ज्ञानेंद्र पांडे ने क्रिकेट कोचिंग में भी अपना करियर बनाया है।
ज्ञानेंद्र पांडे का जन्मस्थान क्या है?
ज्ञानेंद्र पांडे का जन्म लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था।