क्या एडम गिलक्रिस्ट ने विकेटकीपर बल्लेबाजी के मायने बदल दिए?

सारांश
Key Takeaways
- एडम गिलक्रिस्ट ने विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी को एक नई दिशा दी।
- उन्होंने तीन वर्ल्ड कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गिलक्रिस्ट की आक्रामकता ने खेल के नियमों को बदल दिया।
- उन्होंने विकेटकीपिंग में उच्च मानक स्थापित किए।
- ऋषभ पंत जैसे वर्तमान खिलाड़ियों ने गिलक्रिस्ट की पारंपरिक शैली को अपनाया।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एडम गिलक्रिस्ट का नाम उन खिलाड़ियों में आता है, जिन्होंने विकेटकीपर के लिए बल्लेबाजी की परिभाषा को पूरी तरह से बदल दिया। गिलक्रिस्ट न केवल स्टंप्स के पीछे उत्कृष्टता का परिचय देते थे, बल्कि अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से कई मुकाबलों का परिणाम भी बदल देते थे।
गिलक्रिस्ट की खेल शैली ने यह सिद्ध किया कि एक विकेटकीपर भी गेम-चेंजर बल्लेबाज बन सकता है। उनके बाद, अन्य टीमों ने भी ऐसे विकेटकीपर्स को विकसित करना शुरू किया, जिनमें बैटिंग में भी खेल बदलने की क्षमता हो।
घरेलू क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद, गिलक्रिस्ट को अक्टूबर 1996 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने का अवसर मिला। अपने पहले मैच में 18 रन बनाने के बाद, गिलक्रिस्ट ने विकेटकीपर के रूप में दो कैच और एक रन आउट किया। तेज रिफ्लेक्स और उत्तम ग्लव वर्क के साथ, उन्होंने धीरे-धीरे अपनी जगह टीम में पक्की की और बल्ले से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
गिलक्रिस्ट ने स्पिन और पेस दोनों तरह के गेंदबाजों के साथ बेहतरीन तालमेल बनाते हुए कैच और स्टंपिंग के सही मौके बनाए। उनकी उपस्थिति ने टीम में ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार किया। गिलक्रिस्ट के आने से ऑस्ट्रेलियाई टीम को ऐसा खिलाड़ी मिला जो विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी दोनों में ही मैच विनर था।
चाहे ओपनिंग हो या मिडिल ऑर्डर, बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने विस्फोटक पारियां खेलकर विपक्षी टीम पर दबाव बनाया। उनकी उपस्थिति ने ऑस्ट्रेलिया को 1999 से 2007 तक लगातार तीन वर्ल्ड कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
20 जून 1999 को, लॉर्ड्स के मैदान पर एडम गिलक्रिस्ट ने पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप के फाइनल में योगदान दिया। इन्ज़माम-उल-हक और मोईन खान का कैच लपकने के बाद, गिलक्रिस्ट ने मार्क वॉ के साथ मिलकर शानदार साझेदारी की। गिलक्रिस्ट ने 36 गेंदों में एक छक्का और आठ चौकों की मदद से 54 रन बनाए, जिससे ऑस्ट्रेलिया ने 179 गेंद शेष रहते आठ विकेट से खिताब जीता।
2003 के वर्ल्ड कप में, गिलक्रिस्ट भारतीय फैंस के लिए सबसे बड़े 'विलेन' बने। उन्होंने 23 मार्च को जोहान्सबर्ग में मैथ्यू हेडन के साथ 105 रन की साझेदारी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को मजबूत शुरुआत दी।
गिलक्रिस्ट ने 48 गेंदों में 57 रन की पारी खेली, जिसमें एक छक्का और आठ चौके शामिल थे। ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट खोकर 359 रन बनाए और फाइनल में 125 रन से जीत हासिल की।
वर्ल्ड कप 2007 के फाइनल में, एडम गिलक्रिस्ट 'प्लेयर ऑफ द मैच' रहे, जिन्होंने 104 गेंदों में आठ छक्कों और 13 चौकों की सहायता से 149 रन बनाए। 'गिली' ने मैथ्यू हेडन के साथ मिलकर 22.5 ओवरों में 172 रन जोड़े, जिससे ऑस्ट्रेलिया ने 281/4 का स्कोर बनाकर डकवर्थ लुईस नियम के तहत 53 रन से जीत हासिल की।
गिलक्रिस्ट ने कई अन्य टूर्नामेंटों में भी विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी में अपने कौशल का जलवा दिखाया है। उन्होंने 96 टेस्ट मैचों में 47.60 की औसत से 5,570 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 26 अर्धशतक शामिल हैं। इस फॉर्मेट में उन्होंने 379 कैच और 37 स्टंपिंग की।
287 वनडे मैचों में, गिलक्रिस्ट ने 16 शतक और 55 अर्धशतक के साथ 9,619 रन बनाए। विकेट के पीछे, उन्होंने 417 कैच और 55 बल्लेबाजों को स्टंप आउट किया। गिलक्रिस्ट ने अपने करियर में 13 टी20 मैच भी खेले, जिसमें 22.66 की औसत से 272 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उनके नाम 17 कैच हैं।
गिलक्रिस्ट का अंदाज अपने समय से आगे था। उन्होंने आक्रामकता को स्थायित्व प्रदान किया। उन्होंने उस दौर का निर्माण किया जब विकेटकीपर की बल्लेबाजी केवल टीम के लिए बोनस नहीं थी, बल्कि समकालीन क्रिकेट की आवश्यकता भी बन गई थी। गिलक्रिस्ट के संन्यास के बाद, उनके उत्तराधिकारी विकेटकीपर्स ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया है। भारत के ऋषभ पंत कई बार वही कार्य करते हुए देखे गए हैं जो कभी एडम गिलक्रिस्ट ने किया था।