क्या चयनकर्ता बनना अजीत अगरकर के करियर की सबसे बड़ी चुनौती है?

सारांश
Key Takeaways
- चयनकर्ता की भूमिका में चुनौती और जिम्मेदारी होती है।
- खेलने का अनुभव सबसे संतोषजनक होता है।
- प्रतिस्पर्धा का स्तर उच्च रहता है।
- फैसले का खिलाड़ियों के करियर पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- खेल की लोकप्रियता आलोचना को भी जन्म देती है।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने अपनी भूमिका को अपने करियर की अन्य भूमिकाओं की तुलना में अत्यधिक चुनौतीपूर्ण बताया है।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 में अजीत अगरकर ने कहा कि एक खिलाड़ी के रूप में उनका अनुभव अब तक का सबसे संतोषजनक रहा है, वहीं चयनकर्ता के रूप में उन्हें सबसे अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
खिलाड़ी, कमेंटेटर और चयनकर्ता की भूमिका की तुलना करते हुए अगरकर ने कहा, "मैं शायद पहले आसान विकल्प चुनूंगा। एक कमेंटेटर के नाते, आपको कड़ी मेहनत करनी होती है, मैदान पर लंबा समय बिताना होता है। जब तक आप सही शब्द नहीं कह लेते, आपकी कोई महत्ता नहीं होती। कमेंटेटर के रूप में, आपका काम समाप्त होता है और आप घर जा सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "खेलने से सबसे बड़ा संतोष मिलता है। जब आप मैदान पर कदम रखते हैं, तो आपको पता होता है कि आपका काम दांव पर है। एक खिलाड़ी के रूप में, गेंद या बल्ला आपके हाथ में होता है। जीत और हार के बीच बहुत कम अंतर होता है।"
पूर्व ऑलराउंडर ने बताया, "एक चयनकर्ता के तौर पर, जब आप 15 खिलाड़ियों की टीम चुन लेते हैं, तो आपके हाथ में और कुछ नहीं होता। यह चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हमारे पास कई अनुभवी क्रिकेटर होते हैं। यह एक बड़ा दबाव है और जिम्मेदारी से भरा काम है।"
उन्होंने कहा, "इतने सारे खिलाड़ियों का चयन करना एक अच्छी समस्या है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और प्रदर्शन का स्तर ऊंचा रहता है। खेल भारत में इतना लोकप्रिय है कि कुछ लोग आपके फैसलों की आलोचना भी करेंगे।"
47 वर्षीय अजीत अगरकर ने 1998 से 2007 के बीच 26 टेस्ट, 191 वनडे और 4 टी20 खेले। टेस्ट में 1 शतक के साथ 571 रन और 58 विकेट, वनडे में 3 अर्धशतक के साथ 1,269 रन और 288 विकेट, और टी20 में 3 विकेट उनके नाम हैं।
संन्यास के बाद, अगरकर कोचिंग और कमेंट्री में भी सक्रिय रहे। 4 जुलाई 2023 को, वे भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता बने।