क्या भारत सरकार खेल प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए कानून बना रही है?
सारांश
Key Takeaways
- स्पष्टता और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले कानून लागू हुए हैं।
- खिलाड़ियों के कल्याण के लिए नए प्रावधान किए गए हैं।
- खेल संघों में एथिक्स और विवाद समाधान कमिटियों का गठन अनिवार्य है।
- डोपिंग रोधी प्रावधानों में वाडा के मानकों के अनुरूप बदलाव किए गए हैं।
- महिला और पैरा एथलीटों के लिए सुरक्षा नीतियाँ लागू होंगी।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत सरकार ने वर्ष 2025 में राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) अधिनियम, 2025 लागू किए हैं। इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य खेल प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और खिलाड़ियों के कल्याण को बढ़ावा देना है। खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इसे 'आजादी के बाद का सबसे बड़ा सुधार' बताया है।
राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम को जुलाई 2025 में लोकसभा में पेश किया गया था और अगस्त में दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त की। यह भारत का पहला कानून है जो 2011 के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता को कानूनी रूप प्रदान करता है। इसके प्रमुख प्रावधानों में राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन शामिल है, जो राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करेगा। नए कानून के अनुसार, मान्यता प्राप्त निकाय ही सरकारी फंड प्राप्त कर सकेंगे। हर निकाय में 15 सदस्यीय कार्यकारी समिति होगी, जिसमें कम से कम चार महिलाएं और दो एथलीट शामिल होंगे। उम्र सीमा 70 वर्ष रखी गई है, जो कुछ मामलों में 75 वर्ष हो सकती है।
इस अधिनियम के तहत खेल संघों में एथिक्स कमिटी, विवाद समाधान कमिटी, और एथलीट्स कमिटी का गठन अनिवार्य होगा। राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में खेल संबंधित विवादों का शीघ्र निपटारा करेगा। यह कानून खेल निकायों को आरटीआई के दायरे में लाता है। ई-स्पोर्ट्स को भी मान्यता मिली है, जो डिजिटल युग में खेल को विस्तार देगा।
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) अधिनियम, 2025, 2022 के मूल अधिनियम का संशोधन है। यह विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के मानकों के साथ पूर्ण सामंजस्य स्थापित करता है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है और सरकारी हस्तक्षेप समाप्त किया गया है। सभी प्रयोगशालाओं को वाडा मान्यता अनिवार्य है और अपील प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
इससे भारतीय एथलीटों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का खतरा कम होगा और स्वच्छ खेल को बढ़ावा मिलेगा। ये कानून खेल प्रशासन में एक क्रांति लाएंगे। पहले संघों में राजनीतिक हस्तक्षेप, भाई-भतीजावाद और विवाद आम थे, अब पारदर्शिता और एथलीट केंद्रित नीतियां लागू होंगी। महिला और पैरा एथलीटों की सुरक्षा के लिए 'सेफ स्पोर्ट्स पॉलिसी' अनिवार्य है।