क्या मुख्यमंत्री ने सिमू दास को 10 लाख का चेक और सरकारी नौकरी का वादा किया?
सारांश
Key Takeaways
- सिमू दास ने क्रिकेट में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की।
- मुख्यमंत्री ने 10 लाख रुपये का चेक और सरकारी नौकरी का वादा किया।
- यह कदम दृष्टिहीन बच्चों को प्रेरित करेगा।
- सिमू की कहानी संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।
- सीएबीआई और सपोर्टनम ट्रस्ट का योगदान सराहनीय है।
गुवाहाटी, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भारत की प्रसिद्ध ब्लाइंड क्रिकेट खिलाड़ी सिमू दास को 10 लाख रुपये का चेक सौंपा। इसके साथ ही उन्होंने इस विश्व कप विजेता खिलाड़ी को सरकारी नौकरी देने का भी आश्वासन दिया।
सिमू, जो बी1 (पूर्ण दृष्टिहीन) वर्ग में खेलती हैं, ने ब्लाइंड महिला टी20 विश्व कप में भारत की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सिमू जन्म से ही दृष्टिहीन हैं और उनका बचपन एक कच्चे मकान में काफी कठिनाइयों में बीता। उनका भाई भी दृष्टिहीन है। इन कठिनाइयों के बावजूद उनकी मां ने परिवार की जिम्मेदारी उठाई और सिमू को हर चुनौती का सामना करना सिखाया। दृढ़ संकल्प के साथ, सिमू ने न केवल भारत के लिए खेलने का सपना पूरा किया, बल्कि आज वह एक विश्व कप विजेता भी हैं।
क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया (सीएबीआई) और सपोर्टनम ट्रस्ट फॉर द डिसेबल्ड ने इस महत्वपूर्ण कदम के लिए असम सरकार और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का आभार व्यक्त किया है।
क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के अध्यक्ष डॉ. जीके महंतेश ने कहा, "यह न केवल सिमू की प्रतिभा और मेहनत का फल है, बल्कि भारत में ब्लाइंड क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ भी है। माननीय मुख्यमंत्री का सबको साथ लेकर चलने का संकल्प पूरे देश को एक मजबूत संदेश देता है। हम इस बदलाव के लिए आभारी हैं, जो दृष्टिहीन लड़कियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।"
सिमू दास ने कहा, "यह मेरे जीवन का सबसे भावुक दिन है। मैं एक ऐसे परिवार से हूं जिसने हर चीज के लिए संघर्ष किया है। सरकारी नौकरी की घोषणा और माननीय मुख्यमंत्री से मिला यह सम्मान मुझे एक नई जिंदगी और पहचान देता है। मैं उनका दिल से धन्यवाद करती हूं। मैं माननीय प्रधानमंत्री का भी आभार व्यक्त करती हूं, जिनके नेतृत्व में मुझ जैसे लाखों लोगों को अपने हालात से ऊपर उठने की प्रेरणा मिली है। मैं क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया और सपोर्टनम ट्रस्ट को भी धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे खोजा और मुझे यहां तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षण दिया।"