क्या असफलता के समय माता-पिता का साथ सबसे महत्वपूर्ण है? : दिव्या देशमुख

सारांश
Key Takeaways
- दिव्या देशमुख ने फिडे महिला चेस वर्ल्ड कप (2025) जीता।
- असफलता के समय माता-पिता का समर्थन महत्वपूर्ण है।
- शतरंज एक जटिल खेल है, जिसे समझने में समय लगता है।
- खेल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
- दिव्या का सफर प्रेरणादायक है।
नागपुर, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। फिडे महिला शतरंज विश्व कप (एफआईडीई 2025) की विजेता दिव्या देशमुख ने कहा कि असफलता के क्षणों में माता-पिता का समर्थन बच्चों के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में दिव्या ने कहा, फिडे 2025 में मेरी जीत ने मुझे बहुत खुशी दी। मुझे यह विश्वास करने में समय लगा कि मैंने जीत हासिल की है। मेरा सफर आसान नहीं था और इसमें कई लोगों का योगदान रहा। मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, परिवार और अपने पहले कोच राहुल जोशी को देना चाहूंगी।
दिव्या ने कहा कि शतरंज एक बहुत जटिल खेल है, जिसे समझने में मुझे समय लगा। यदि कोई इस खेल में रुचि रखता है, तो उनके माता-पिता को दिल से समर्थन करना चाहिए। विशेष रूप से असफलता के समय, माता-पिता को अपने बच्चों का समर्थन करना चाहिए। खेल जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है। इसलिए खिलाड़ियों के लिए समर्थन अनिवार्य है।
19 वर्ष की दिव्या ने फिडे महिला शतरंज विश्व कप (फिडे 2025) जीतकर एक नया इतिहास रचा। वह इस प्रतिष्ठित खिताब की विजेता बनने वाली पहली भारतीय महिला हैं। बाकू में आयोजित ऑल-इंडियन फाइनल में, दिव्या ने कोनेरू हम्पी को रैपिड टाई-ब्रेक में 1.5–0.5 से हराकर खिताब जीता। कोनेरू हम्पी एक प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं, लेकिन दिव्या ने फाइनल में उनकी चमक को फीका करते हुए यह खिताब अपने नाम किया।
जीत के बाद दिव्या ने कहा था कि यह एक किस्मत का खेल था। टूर्नामेंट से पहले मैं सोच रही थी कि शायद मैं ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल कर लूं और अंततः मैं ग्रैंडमास्टर बन गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिव्या को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "युवा दिव्या देशमुख के फिडे महिला विश्व शतरंज चैंपियन 2025 बनने पर गर्व है। इस अद्वितीय उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई। यह जीत कई युवाओं को प्रेरित करेगी।"