क्या फिगर स्केटिंग प्रागैतिहासिक काल का आविष्कार है और विंटर ओलंपिक के कलात्मक खेलों में इसे क्यों शामिल किया गया?

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क्या फिगर स्केटिंग प्रागैतिहासिक काल का आविष्कार है और विंटर ओलंपिक के कलात्मक खेलों में इसे क्यों शामिल किया गया?

सारांश

फिगर स्केटिंग एक अद्भुत कलात्मक खेल है जो प्रागैतिहासिक काल से लेकर आज तक का सफर तय कर चुका है। जानिए इसके विकास की कहानी, इसकी प्रमुख स्पर्धाएँ और भारत में इसकी संभावनाएँ।

Key Takeaways

  • फिगर स्केटिंग एक कलात्मक खेल है।
  • इसकी शुरुआत प्रागैतिहासिक काल से हुई थी।
  • भारत में इसकी संभावनाएँ अभी शुरुआती चरण में हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन आवश्यक है।
  • युवा प्रतिभाओं की पहचान जरूरी है।

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बर्फ पर होने वाला फिगर स्केटिंग एक कलात्मक खेल है, जिसमें खिलाड़ी संगीत के साथ संतुलन, स्पिन, जंप और स्टेप्स का प्रदर्शन करते हुए पदक जीतने का प्रयास करते हैं। यह तकनीक और कला का अनोखा संगम ओलंपिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

इस खेल का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से प्रारंभ होता है, जहाँ हड्डियों के स्केट का उपयोग किया जाता था। लगभग 3000 ईसा पूर्व में स्कैंडिनेविया और रूस में जानवरों की हड्डियों से बने स्केट्स के प्रमाण मिले हैं। इसके बाद, 13वीं-14वीं शताब्दी में डच लोगों ने इन स्केट्स पर धारियां जोड़कर बर्फ पर बेहतर ग्लाइडिंग की व्यवस्था की।

1740 के दशक में स्कॉटलैंड में पहला संगठित फिगर स्केटिंग क्लब स्थापित हुआ। वर्ष 1772 में रॉबर्ट जोंस ने 'ए ट्रीटीज ऑन स्केटिंग' नामक एक पुस्तक में बर्फ पर आकृतियाँ बनाने की विधि बताई, जिसे आधुनिक फिगर स्केटिंग का जनक माना जाता है।

1850 में एडवर्ड बुशनेल ने स्केट्स में स्टील ब्लेड जोड़े, जिससे जटिल चालें भी संभव हो पाईं। 1860 के दशक में बैले मास्टर जैक्सन हेंस ने इस खेल में बैले और डांस को मिलाकर इसे और भी कलात्मक बना दिया। 1891 में यूरोपीय चैंपियनशिप का आयोजन हुआ, जिसके लगभग 5 साल बाद पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप हुई।

1902 में ब्रिटिश स्केटर मैज सियर्स पहली महिला बनीं जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पुरुषों को चुनौती दी। इससे पहले केवल पुरुष ही इस चैंपियनशिप में भाग लेते थे, लेकिन मैज सियर्स ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया। इसके पश्चात, अंतरराष्ट्रीय स्केटिंग संघ ने 1908 में महिलाओं के लिए एक अलग चैंपियनशिप की शुरुआत की।

यह खेल 1908 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में शामिल किया गया था। मैज सियर्स ने इस ओलंपिक में भाग लिया, जिसमें एकल स्पर्धा में गोल्ड और अपने पति के साथ युगल स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 1972 तक, पुरुष और महिला एकल एवं युगल इवेंट होते थे। 1976 में आइस डांस को इसमें शामिल किया गया।

फिगर स्केटिंग को 5 स्पर्धाओं में विभाजित किया गया है: मेंस और विमेंस सिंगल्स, पेयर्स (आर्टिस्टिक + डांस) और टीम इवेंट

भारत में फिगर स्केटिंग अभी शुरुआती चरण में है। हालाँकि, उचित रणनीति अपनाकर ओलंपिक में पदक प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए युवा प्रतिभाओं की पहचान करना आवश्यक है। बच्चों को कम उम्र से प्रशिक्षण देना शुरू करना होगा। विदेशी कोच, कोरियोग्राफर और तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखारना होगा। इसके साथ ही खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित करने का अवसर देना होगा।

Point of View

बल्कि यह कला और तकनीक का संगम है। भारत में इसकी संभावनाएँ अभी प्रारंभिक हैं, लेकिन सही दिशा में प्रयास करने पर हमें ओलंपिक में सफलता मिल सकती है।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

फिगर स्केटिंग का इतिहास क्या है?
फिगर स्केटिंग का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है, जहाँ जानवरों की हड्डियों से स्केट्स बनाए जाते थे।
फिगर स्केटिंग में कौन-कौन सी स्पर्धाएँ होती हैं?
इस खेल को मेंस और विमेंस सिंगल्स, पेयर्स और टीम इवेंट में विभाजित किया गया है।
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