क्या खेल में जाति या उम्र के आधार पर आरक्षण नहीं मिलता? : शशांक सिंह

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क्या खेल में जाति या उम्र के आधार पर आरक्षण नहीं मिलता? : शशांक सिंह

सारांश

शशांक सिंह, आईपीएल की पंजाब किंग्स के बल्लेबाज, अपने सपनों और संघर्षों के बारे में खुलकर बात करते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने करियर में समस्याओं का सामना किया और अपने खेल को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए मेहनत की। क्या वाकई खेल में जाति या उम्र का कोई स्थान नहीं है? जानिए उनके विचार।

Key Takeaways

  • खेल में जाति और उम्र का कोई स्थान नहीं
  • योग्यता ही चयन का मुख्य आधार है
  • कड़ी मेहनत और समर्पण से ही सफलता मिलती है
  • मानसिक मजबूती महत्वपूर्ण है
  • खुद पर विश्वास रखकर आगे बढ़ना चाहिए

नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आईपीएल की पंजाब किंग्स के धमाकेदार बल्लेबाज शशांक सिंह ने कहा है कि भारत का प्रतिनिधित्व करने का उनका सपना उन्हें शानदार प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। शशांक आखिरी बार आईपीएल 2025 के फाइनल में पंजाब किंग्स के लिए खेलते हुए नजर आए थे।

राष्ट्र प्रेस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में शशांक ने कहा, "मेरे करियर में माता-पिता, बहन, सभी कोचों और कई अन्य लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मैं, जो कुछ भी हूं, उसका श्रेय सभी को जाता है।"

शशांक ने अपने करियर पर नजर डालते हुए कहा, "यह एक लंबा सफर रहा है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। मैंने मध्य प्रदेश के लिए खेलना शुरू किया, फिर हम बॉम्बे चले गए और बाद में मैं छत्तीसगढ़ लौट आया। आईपीएल से मुझे पहचान मिली। मेरा मानना है कि सभी बाधाओं को पार करते हुए इस समय सही दिशा में हूं।"

उन्होंने आगे कहा, "भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का मेरा सपना कुछ ऐसा है, जिसे मैं हासिल करने के बहुत करीब हूं और इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं, क्योंकि क्रिकेट समर्पण और अनुशासन का नाम है।"

घरेलू क्रिकेट में प्रभावशाली प्रदर्शन के बावजूद राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने पर शशांक ने कहा, "सच कहूं तो, मुझे नहीं पता कि मैं अभी तक राष्ट्रीय टीम का हिस्सा क्यों नहीं हूं। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है। मेरा काम अच्छा प्रदर्शन करना और टीम को जीत दिलाने में मदद करना है। टीम को जीत की ओर ले जाना हमेशा से मेरी प्रेरणा रही है। मैं सिर्फ अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन और हर मैच में बनाए गए रनों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता। क्रिकेट एक टीम खेल है। मायने यह रखता है कि मैंने टीम को कितने मैच जिताए हैं।"

शशांक ने घरेलू क्रिकेट में ट्रॉफी जीतने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मेरे राज्य ने अभी तक कोई चैंपियनशिप नहीं जीती है। दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों के नाम चैंपियनशिप का खिताब है, चाहे वह विजय हजारे ट्रॉफी हो, रणजी ट्रॉफी हो या सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी। वे मैच जीतते हैं। मेरा मानना है कि इससे उन्हें उच्चतम स्तर पर पहचान हासिल करने में मदद मिलती है। हालांकि, इससे मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में इससे कोई बाधा आएगी। मुझे लगता है कि भारत का सर्वोच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व करने के लिए जरूरी किसी भी गुण की कमी मुझमें नहीं है। यह सपना जल्द ही हकीकत में बदल जाएगा।"

पंजाब किंग्स के लिए प्रभावी प्रदर्शन के बाद भी राष्ट्रीय टीम में जगह न मिलने पर मानसिक रूप से कैसा महसूस करते हैं। इस पर शशांक ने कहा, "निश्चित रूप से मैं निराश हो जाता हूं। मैं कुछ दिनों तक कारणों और बारीकियों के बारे में सोचता हूं और फिर आगे बढ़ जाता हूं। आखिरकार यह मुझ पर निर्भर करता है कि मैं इसे कैसे लेता हूं, और मेरा काम अच्छा प्रदर्शन करना और टीम को जीत दिलाना है। आप बस शेड्यूल का पालन कर सकते हैं और सही तरीके से ट्रेनिंग कर सकते हैं, इस उम्मीद के साथ कि आप अंतिम लक्ष्य हासिल कर लेंगे। मैं अपना सिर पीटने और यह सोचने के बजाय कि चीजें ठीक से क्यों नहीं हुईं, उसी प्रक्रिया का पालन कर रहा हूं। यह मेरे नियंत्रण से बाहर है।"

निराशाओं से किस तरह निपटते हैं। इस पर शशांक ने कहा, "मानसिक रूप से मजबूत बने रहना जरूरी है। आपको इस बात के लिए आभारी होना चाहिए कि आप एक ऐसे देश में उच्च स्तर पर क्रिकेट खेल रहे हैं, जहां प्रतिस्पर्धा कड़ी है। यह हमेशा एक प्रेरक कारक होता है। मैं यहां आने वाला पहला व्यक्ति नहीं हूं, न ही मैं आखिरी होऊंगा। कई लोगों को उनके हक का मौका मिला है और भविष्य में भी कई लोगों को मिलेगा। आपको हमेशा विश्वास बनाए रखना चाहिए। मैं कभी नहीं कहूंगा कि मैं हमेशा से प्रतिभाशाली रहा हूं। मैंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। मुझे खुद पर विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूं।"

33 वर्षीय खिलाड़ी का मानना है कि अगर किसी क्रिकेटर के आंकड़े उसकी असली क्षमता दर्शाते हैं तो उम्र मायने नहीं रखती। उनका मानना है कि चयन खिलाड़ी की योग्यता पर निर्भर करता है और उम्र किसी को भी महानता तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां खिलाड़ी और एथलीट एक निश्चित उम्र के बाद भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं और खेल में छा जाते हैं।

शशांक ने कहा, "खेल एक ऐसा क्षेत्र है, जहां जाति या उम्र के आधार पर कोई पक्षपात या आरक्षण नहीं है। चयन पूरी तरह से योग्यता के आधार पर होता है। अगर मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों की गेंदों पर चौके और छक्के लगा रहा हूं, क्षेत्ररक्षण करते समय लॉन्ग ऑन से लॉन्ग ऑफ की ओर दौड़ रहा हूं, विकेटों के बीच तेजी से दौड़ रहा हूं और टीम के लिए एक अहम खिलाड़ी साबित हो रहा हूं, तो मेरा मानना है कि कोई भी ताकत मुझे उच्चतम स्तर पर क्रिकेट खेलने से नहीं रोक सकती।"

Point of View

मुझे लगता है कि शशांक सिंह का दृष्टिकोण हमारे युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है। खेल में योग्यता का होना सबसे महत्वपूर्ण है। जाति और उम्र केवल बाहरी बाधाएं हैं, असली चुनौती खुद को साबित करना है। हमें ऐसे खिलाड़ियों का समर्थन करना चाहिए जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
NationPress
18/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या खेल में जाति या उम्र का कोई स्थान नहीं है?
शशांक सिंह का मानना है कि खेल में जाति या उम्र के आधार पर कोई पक्षपात नहीं होता। चयन पूरी तरह से योग्यता पर आधारित होता है।
शशांक सिंह ने अपने करियर में किन चुनौतियों का सामना किया?
उन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया और अपने राज्य के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया।
भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का सपना कैसे पूरा करें?
कड़ी मेहनत, समर्पण और अनुशासन से ही खिलाड़ी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
क्या मानसिक मजबूती खेल में महत्वपूर्ण है?
जी हां, मानसिक रूप से मजबूत रहना खेल में बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या शशांक को राष्ट्रीय टीम में स्थान मिलेगा?
उनका मानना है कि उनकी मेहनत और प्रदर्शन उन्हें राष्ट्रीय टीम में स्थान दिला सकते हैं।