क्या ज्योतिर्मयी सिकदर भारतीय एथलेटिक्स की 'नई गोल्डन गर्ल' हैं?
सारांश
Key Takeaways
- ज्योतिर्मयी सिकदर ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।
- उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
- उनकी कहानी प्रेरणा का स्रोत है।
- उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा।
- उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सफलता दिलाई।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय एथलेटिक्स में पी.टी. उषा को 'उड़न परी' के नाम से जाना जाता है। यह उपनाम उन्हें उनकी बिजली की गति से दौड़ने की क्षमता के कारण मिला था। पी.टी. उषा के बाद, जिस महिला धावक ने अपने अद्वितीय दौड़ने के कौशल से पूरे देश को प्रभावित किया और एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, वह हैं ज्योतिर्मयी सिकदर। उन्हें 'नई गोल्डन गर्ल' के नाम से भी जाना जाने लगा।
ज्योतिर्मयी सिकदर का जन्म 11 दिसंबर, 1969 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के छोटे से गांव देबग्राम में हुआ था। उन्हें एथलेटिक्स का शौक विरासत में मिला, उनके पिता, गुरुदास सिकदर, एक पोल वॉल्टर थे। उनके पिता ने ही उनकी दौड़ने की क्षमता को पहचाना और कड़े प्रशिक्षण से उन्हें तराशा। इसके बाद, मेंटर सत्यराम रॉय ने ज्योतिर्मयी की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद की।
1992 में ऑल इंडिया ओपन मीट में उनका राष्ट्रीय डेब्यू शानदार रहा। 800 मीटर में बेहतरीन समय निकालकर उन्होंने रजत पदक जीता। 1994 तक, ज्योतिर्मयी ने कई रिकॉर्ड तोड़े। 1500 मीटर में एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और नेशनल एथलेटिक्स मीट में स्वर्ण पदक जीता। 1994 में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आईटीसी एथलेटिक्स मीट में 800 मीटर में कांस्य पदक जीता। 1995 की एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में, उन्होंने 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। 1997 में, फुकुओका एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में, उन्होंने 800 मीटर और 1500 मीटर श्रेणी में कांस्य पदक जीते, साथ ही 4x400 मीटर रिले में रजत पदक भी जीता।
1998 ज्योतिर्मयी के लिए एक यादगार वर्ष था, जिसने उनके नाम को स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया। बैंकॉक एशियन गेम्स में, उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ टाइमिंग दिखाई, 800 मीटर में 2:01.00 और 1500 मीटर में 4:12.82, जिससे उन्हें 4×400 मीटर रिले में दो स्वर्ण और एक रजत पदक प्राप्त हुआ। इन सफलताओं के बाद, उन्हें भारतीय खेलों की 'नई गोल्डन गर्ल' के रूप में मान्यता मिली। 1996 में अटलांटा ओलंपिक में उन्होंने 4x400 मीटर रिले में भारत का प्रतिनिधित्व किया और सातवें स्थान पर रहीं।
ज्योतिर्मयी सिकदर को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा 1995 में अर्जुन पुरस्कार, 1998 में राजीव गांधी खेल रत्न और 2003 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। एथलेटिक्स में बड़ी सफलता और सम्मान प्राप्त करने के बाद, ज्योतिर्मयी ने राजनीति में प्रवेश किया और 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीट कृष्णानगर से सांसद रहीं। नादिया जिले के एक छोटे से गांव में धान के खेतों पर दौड़ने से लेकर अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर भारत का तिरंगा फहराने तक की ज्योतिर्मयी सिकदर की कहानी प्रेरणादायक है।