क्या खिलाड़ियों के बीच बहस या इशारेबाजी खेल का हिस्सा हैं? : सुनील सग्गी

सारांश
Key Takeaways
- खेल के दौरान बहस और इशारेबाजी सामान्य हैं।
- आईसीसी के निर्णय हमेशा निष्पक्ष होते हैं।
- भारतीय टीम को फाइनल में पूरी तैयारी के साथ उतरना चाहिए।
- अभिषेक शर्मा एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं।
- मैच के बाद खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं मायने नहीं रखतीं।
पटियाला, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के प्रशिक्षक सुनील सग्गी ने भारत-पाकिस्तान मैच के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि मैच के दौरान खिलाड़ियों के बीच होने वाली बहस और इशारेबाजी खेल का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में सुनील सग्गी ने बताया, "मैच के दौरान खिलाड़ियों के बीच इशारेबाजी आम बात है। इसे खेल का हिस्सा समझा जाना चाहिए, और इसे भड़काऊ नहीं कहा जा सकता। यह घटनाएं केवल मैदान पर होती हैं और इनके बाद का कोई असर नहीं होता।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच के मैच को पूरी दुनिया में बड़ी उत्सुकता से देखा जाता है। दोनों टीमें जीतने के लिए पूरी मेहनत करती हैं और हार मानने के लिए तैयार नहीं होतीं। ऐसे में खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं खेल में रोमांच और उत्साह का हिस्सा मानी जानी चाहिए।
सुनील ने कहा कि भले ही यह सब टीवी पर भड़काऊ दिखाई दे, असल में ये केवल खेल का हिस्सा हैं। आईसीसी की भूमिका पर उन्होंने कहा कि आईसीसी अपने तरीके से निर्णय लेती है और हर पहलू का विस्तृत अध्ययन करने के बाद ही निर्णय करती है। इसलिये उनके निर्णय को हमेशा सही और निष्पक्ष माना जाना चाहिए।
अभिषेक शर्मा की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, "वह एक उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं और उनका प्रदर्शन शानदार है।"
फाइनल में भारतीय टीम को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि टीम को लापरवाह नहीं होना चाहिए। मुकाबला कठिन और रोमांचक हो सकता है, इसलिए खिलाड़ियों को पूरी तैयारी और एकाग्रता के साथ मैदान में उतरना चाहिए।