क्या लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य जीतकर इतिहास रचा?

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क्या लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य जीतकर इतिहास रचा?

सारांश

लवलीना बोरगोहेन की कहानी प्रेरणादायक है। असम के एक छोटे से गांव से निकलकर, उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर पूरे देश को गर्वित किया। जानिए उनकी यात्रा और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम में हुआ।
  • टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला।
  • अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न सम्मान से नवाजा गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते।
  • भारत की महिला मुक्केबाजों के लिए प्रेरणा स्रोत।

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत मुक्केबाजी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। पुरुष और महिला दोनों वर्गों में भारतीय मुक्केबाज अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। महिला वर्ग में जिस नाम ने बहुत तेजी से पहचान बनाई है, वह है लवलीना बोरगोहेन। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लवलीना ने संपूर्ण विश्व में धूम मचाई।

लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले के बरोमुखिया गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता ने हर संभव सहायता करते हुए लवलीना को मुक्केबाजी में उत्कृष्टता की ओर बढ़ाया। लवलीना और उनकी दो बड़ी बहनों ने मॉय थाई, जो किक-बॉक्सिंग का एक रूप है, को अपनाया। दोनों बहनों ने इसमें राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा की है।

लवलीना को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मुक्केबाजी के माध्यम से मिली। 2012 में, उन्होंने अपने स्कूल में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में मुक्केबाजी का ट्रायल दिया। पदुम बोरो ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें अपने साथ लिया। लवलीना ने 2012 में 14 वर्ष की उम्र में गुवाहाटी के नेताजी सुभाष रीजनल सेंटर में अपनी बॉक्सिंग ट्रेनिंग शुरू की। 2012 में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप और 2013 में सर्बिया के नेशन वूमेंस जूनियर कप में रजत पदक जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनका भविष्य मुक्केबाजी में स्वर्णिम है।

लवलीना ने 2017 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, जो उनका पहला बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पदक था। इसके अलावा, 2019 में रूस के उलान-उदे में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में भी उन्होंने कांस्य पदक जीता।

विश्व चैंपियनशिप में जीते गए पदकों के कारण लवलीना को बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए एशियाई क्वालीफायर में भेजने के लिए प्रेरित किया गया। मार्च 2020 में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के क्वार्टर-फाइनल में उज्बेकिस्तान की मफतुनाखोन मेलिएवा को हराकर सेमीफाइनल में पहुँचकर उन्होंने वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) में भारत के लिए ओलंपिक कोटा प्राप्त किया। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लवलीना ने देश का नाम और भी ऊँचा किया।

लवलीना ने 2023 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2022 में हांग्झोउ में आयोजित एशियन गेम्स में रजत और उसी वर्ष जॉर्डन के अम्मान में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। लवलीना बोरगोहेन की सफलता और मुक्केबाजी में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न सम्मान से नवाजा है। आगामी एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में उनसे देश को पदक की उम्मीद है।

Point of View

बल्कि अपने देश को भी गर्वित किया है। उनकी मेहनत और संघर्ष ने यह साबित किया है कि भारत की महिला मुक्केबाज अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रही हैं।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

लवलीना बोरगोहेन का जन्म कब हुआ?
लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को हुआ।
लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक में कौन सा पदक जीता?
लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
लवलीना को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
लवलीना को अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न सम्मान से नवाजा गया।
लवलीना की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
लवलीना ने एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप में कई पदक जीते हैं।
लवलीना का प्रशिक्षण कब शुरू हुआ?
लवलीना ने 2012 में गुवाहाटी में अपने प्रशिक्षण की शुरुआत की।