क्या खिलाड़ी भूल चुके हैं कि इसी पाकिस्तान के आतंकियों ने हमारे देश के लोगों को मारा?

सारांश
Key Takeaways
- आतंकवाद पर विचार करना आवश्यक है।
- शहीदों का सम्मान करना चाहिए।
- खिलाड़ियों को राष्ट्रीय भावना को समझना चाहिए।
- बीसीसीआई को जनता की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए।
- स्पोर्ट्स और राष्ट्रीय सुरक्षा का संयोग।
कानपुर, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पहलगाम आतंकी हमले के बाद, रविवार को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट का मुकाबला पहली बार होगा। इस हमले में कानपुर के शुभम द्विवेदी ने अपनी जान गंवाई थी। एक बड़ा वर्ग इस मैच का विरोध कर रहा है, जिसमें शुभम की पत्नी एशान्या भी शामिल हैं।
एशान्या ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह हमारा विरोध नहीं है। यह उन 26 परिवारों का विरोध है, जिनके सदस्य शहीद हुए हैं। यह हर उस परिवार का विरोध है, जिसने अपने घर से एक सैनिक को खोया है। यह विरोध हर घर से उठ रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैं सोशल मीडिया पर लगातार इसके खिलाफ पोस्ट कर रही हूं। अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसने मुझसे कहा हो कि मैं गलत हूं। हर कोई मेरे साथ है और वे भी इस मुकाबले का बायकॉट कर रहे हैं।"
एशान्या द्विवेदी ने आगे कहा, "अगर एक आम नागरिक को यह बात समझ आ रही है, तो मुझे समझ नहीं आता कि बीसीसीआई और ये खिलाड़ी इसे क्यों नहीं समझते। वे भूल चुके हैं कि इसी पाकिस्तान के आतंकियों ने उनके देश के लोगों को मारा है। हमारे कितने जवान शहीद हुए हैं।"
उन्होंने कहा, "इन खिलाड़ियों को जबरन नहीं भेजा गया है। वे अपनी मर्जी से गए हैं, उन्हें खुद स्टैंड लेना चाहिए था। मुझे लगता है कि भारतीय खिलाड़ी और बीसीसीआई आतंकवाद को राष्ट्रीय मुद्दा ही नहीं समझते। कानपुर से कुलदीप यादव भी मैच खेलने गए हैं, लेकिन वह खेलने के लिए मना भी कर सकते थे।"
शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने कहा, "जब से मुझे भारत-पाकिस्तान के मुकाबले की जानकारी मिली है, तभी से मैं इसका विरोध कर रहा हूं। जिस देश ने हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या की, उसके साथ हमारे देश के खिलाड़ी खेल रहे हैं। यह बेहद दुखद है। इस मैच का बहिष्कार किया जाना चाहिए। बीसीसीआई को देश के नागरिकों की चिंता नहीं है। दुश्मन देश के साथ बोर्ड को किसी भी तरह का संबंध नहीं रखना चाहिए।"