क्या प्रदीप कुमार बनर्जी मैदान पर अपनी गति के लिए मशहूर थे?

सारांश
Key Takeaways
- प्रदीप कुमार बनर्जी का जन्म 1936 में हुआ।
- उन्होंने 15 साल की उम्र में संतोष ट्रॉफी खेली।
- वे भारतीय टीम के लिए 52 मैच खेले और 16 गोल किए।
- प्रदीप ने ओलंपिक और एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत में क्रिकेट को सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है, लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अन्य खेलों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। इनमें से एक प्रसिद्ध फुटबॉलर हैं प्रदीप कुमार बनर्जी।
प्रदीप का जन्म 23 जून 1936 को जलपाईगुड़ी में हुआ। बंगाल हमेशा से भारतीय फुटबॉल का केंद्र रहा है, और इसका प्रभाव प्रदीप पर भी पड़ा, जिससे उन्होंने फुटबॉल को अपने करियर के रूप में चुना।
उन्होंने 15 साल की उम्र में बिहार के लिए संतोष ट्रॉफी में भाग लिया और बाद में रेलवे और बंगाल टीम का भी प्रतिनिधित्व किया। 19 साल की उम्र में, उन्होंने 1955 में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया और एक स्ट्राइकर के रूप में खेला। वह 1958 में टोक्यो, 1962 में जकार्ता, और 1966 में बैंकॉक में एशियन गेम्स का हिस्सा बने। इसके अलावा, उन्होंने 1956 में मेलबर्न में समर ओलंपिक में भी भाग लिया। 1960 में रोम के ओलंपिक में वह भारतीय टीम के कप्तान थे।
उनकी गति अद्वितीय थी, और वे बॉक्स के अंदर और बाहर दोनों जगह गोल कर सकते थे। उनके पास एक बेहतरीन हेडर और पासिंग कौशल था, जो उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों के लिए सटीक क्रॉस सेट करने में मदद करता था।
1955 से 1966 तक, उन्होंने भारतीय टीम के लिए 52 मैच खेले और 16 गोल किए। संन्यास के बाद, उन्होंने कोचिंग में कदम रखा और 1972 से 2004 के बीच ईस्टर्न रेलवे, ईस्ट बंगाल, मोहन बगान, और मोहम्मडन स्पोर्टिंग की कोचिंग की। वह 1971 से 1974 और 1985 से 1986 के बीच भारतीय टीम के कोच भी रहे।
भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया। उनका निधन 20 मार्च 2020 को हुआ।