क्या प्रो रेसलिंग लीग पहलवानों की उम्मीदों को पंख दे रही है?
सारांश
Key Takeaways
- प्रो रेसलिंग लीग ने भारतीय कुश्ती में नई दिशा दी है।
- पहलवानों को आर्थिक समर्थन प्रदान करती है।
- ओलंपिक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करती है।
- महिलाओं के लिए भी अवसर प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देती है।
नई दिल्ली, २ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कुश्ती भारत का एक पारंपरिक खेल है, जिसका उल्लेख हमारे पुराणों में भी किया गया है। समय के साथ यह खेल अब वैश्विक पहचान बना चुका है। भारतीय पहलवानों की दबदबा पूरी दुनिया में है, और कॉमनवेल्थ गेम्स तथा ओलंपिक में जीते गए पदक इसकी पुष्टि करते हैं।
कुश्ती करने वाले अधिकांश पहलवान ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, और जब उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बनती, तो उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने और पहलवानों को अपनी क्षमता दिखाने का अवसर प्रदान करने के लिए भारतीय कुश्ती संघ ने प्रो रेसलिंग लीग की शुरुआत की थी।
प्रो रेसलिंग लीग की स्थापना २०१५ में प्रोस्पोर्टिफाई और भारतीय कुश्ती संघ द्वारा की गई थी। इस पहल ने कुश्ती के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने का कार्य किया है। लीग ने भारतीय पहलवानों को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद की है। इसमें ओलंपिक चैंपियन जैसे व्लादिमीर खिंचेंगाशविली (जॉर्जिया), हेलेन मारौलिस (अमेरिका), और सोस्लान रमनोव (रूस) खेल चुके हैं। इन दिग्गजों की उपस्थिति ने युवा भारतीय पहलवानों को अपने प्रदर्शन में प्रेरणा दी है। बजरंग पुनिया ने अपने ओलंपिक पदक (कांस्य, टोक्यो ओलंपिक) का श्रेय इस लीग को दिया है।
लीग में फ्रीस्टाइल (पुरुष) और फ्रीस्टाइल वुमेंस (महिला) श्रेणियां शामिल हैं, जो यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमों का पालन करती हैं।
२०१५ में पहले सीजन में महाराष्ट्र स्टॉम्पर्स, दिल्ली डायनामोज, मुंबई महारथी, पंजाब रॉयल्स, हरियाणा हैमर्स, और यूपी योद्धा के रूप में छह फ्रेंचाइजी ने भाग लिया था। २०१९ में लीग का आखिरी सीजन खेला गया था। प्रोस्पोर्टिफाई और भारतीय कुश्ती संघ के बीच वित्तीय विवादों और कोविड के कारण लीग का संचालन २०१९ के बाद से नहीं हो सका। हालाँकि, भारतीय कुश्ती संघ ने लीग को पुनः शुरू करने की घोषणा की है। अगला सीजन जनवरी २०२६ में आयोजित होने की संभावना है।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह का मानना है कि लीग की पुनः शुरुआत भारतीय पहलवानों का उत्साह बढ़ाएगी और उन्हें ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर पदक जीतने के लिए तैयार करेगी।
पहले सीजन में इनामी राशि १५ करोड़ रखी गई थी, जिसे बाद में २० करोड़ कर दिया गया था।
लीग के आरंभ से उन पहलवानों की उम्मीदें और भी बढ़ेंगी, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। लीग पहलवानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाकर अपने सपनों को जीने का साहस प्रदान करती है। यह लीग देश के ऐतिहासिक खेल के लिए संजीवनी की तरह है।