क्या रानी रामपाल भारतीय महिला हॉकी को सुनहरा दौर दिखाने वाली खिलाड़ी हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रानी रामपाल का संघर्ष और सफलता प्रेरणादायक है।
- उनकी कप्तानी में भारत ने कई महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते।
- रानी महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक हैं।
- उन्होंने हॉकी में भारत का नाम रोशन किया।
- उनका खेल करियर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भी भारतीय महिला हॉकी की चर्चा होती है, रानी रामपाल का नाम अवश्य लिया जाता है। एक साधारण परिवार से आने वाली रानी ने अपने उत्साह और लगन से न केवल व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की, बल्कि देश की महिला हॉकी के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रानी रामपाल का जन्म 4 दिसंबर 1994 को शाहबाद, मारकंडा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा में हुआ था। रानी के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। ऐसे में हॉकी में करियर बनाने का उनका सपना बहुत कठिन था, लेकिन महज छह साल की उम्र में हॉकी स्टिक उठाने वाली रानी ने सभी बाधाओं का सामना करते हुए अपने सपने को साकार किया।
यह वह समय था जब लड़कियों का हॉकी खेलना स्वीकार नहीं किया जाता था। रानी को प्रशिक्षण देने को कोई कोच तैयार नहीं था। लेकिन कोच बलदेव सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। उन्होंने शाहाबाद की एक स्थानीय हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण शुरू किया। 2008 में, केवल 14 वर्ष की उम्र में, उन्होंने भारतीय जूनियर टीम की कप्तानी संभाली और उसी वर्ष चिली में आयोजित जूनियर विश्व कप में भारत को रजत पदक दिलाया। यह किसी भारतीय महिला टीम का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था। 2010 में, रानी केवल 16 वर्ष की आयु में भारतीय टीम में शामिल हुईं। भारत ने 2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता था।
रानी रामपाल के अद्भुत खेल और टीम में उत्साह भरने की क्षमता को देखते हुए उन्हें 2017 में भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया। इसके बाद महिला हॉकी ने सफलता की नई कहानी लिखी। 2017 में भारत ने एशिया कप जीता, जो 13 वर्षों में देश का पहला एशिया कप खिताब था। रामपाल की कप्तानी में भारत ने 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक और फिर 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल किया। टोक्यो ओलंपिक में, भारतीय महिला टीम ने 41 वर्षों के बाद ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। रामपाल के नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी एक वैश्विक ताकत के रूप में उभरी।
रामपाल की खेल शैली आक्रामक और तकनीकी रूप से अत्यधिक कुशल रही। वह पेनल्टी कॉर्नर की विशेषज्ञ और उत्कृष्ट ड्रैग-फ्लिकर थीं। 2008 से 2023 के बीच, उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए 254 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 120 गोल किए। वे भारत की सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाली महिला खिलाड़ी हैं।
भारत सरकार ने रानी रामपाल को 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया। 2020 में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, जो कि भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। विश्व हॉकी में उन्हें लगातार चार बार (2018-2021) विश्व की ‘साल का युवा खिलाड़ी’ चुना गया। साल 2024 में, रानी ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा कर दी।
एक साधारण परिवार से उठकर भारतीय महिला हॉकी को उत्कृष्ट खेल में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी रामपाल की कहानी केवल लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं। संन्यास के बाद, रामपाल युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं।