क्या रंजन सोढ़ी ने अपने बचपन के शौक को करियर में बदला और देश को विश्व कप में स्वर्ण पदक दिलाया?

सारांश
Key Takeaways
- रंजन सोढ़ी ने अपने शौक को करियर में बदला।
- उन्हें दो स्वर्ण पदक और कई रजत पदक मिले हैं।
- रंजन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
- उन्होंने निशानेबाजी में भारत का नाम रोशन किया।
- रंजन कोचिंग के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में अन्य खेलों के साथ ही निशानेबाजी भी तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रही है। इस खेल को ऊँचाइयों तक पहुँचाने में जिन निशानेबाजों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनमें रंजन सोढ़ी का नाम अग्रणी है। निशानेबाजी में रंजन ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।
रंजन सोढ़ी का जन्म 23 अक्टूबर 1979 को पंजाब के फिरोजपुर जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही बंदूक से निशाना लगाना बहुत पसंद था, और यही कारण है कि उन्होंने अपने शौक को अपने करियर में तब्दील किया। मेहनत, अनुशासन और जुनून के बल पर उन्होंने डबल ट्रैप शूटिंग में महारत हासिल की, जो कि बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। डबल ट्रैप शूटिंग में निशानेबाज को दो उड़ते हुए मिट्टी के बर्तनों को एक साथ भेदना होता है।
फिरोजपुर के क्लबों से अपने करियर की शुरुआत करने वाले रंजन सोढ़ी 2000 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय चैंपियन बने। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें 2010 में पहचान मिली, जब उन्होंने इटली के लोनाटो में आयोजित आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में डबल ट्रैप इवेंट में परफेक्ट 50/50 का विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता। उसी वर्ष, नई दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने दो रजत पदक जीते - एक व्यक्तिगत डबल ट्रैप में और दूसरा टीम इवेंट में। 2010 में गुजरात के गुडाऊ में आयोजित एशियन गेम्स में उन्होंने 186 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया। 2011 में बीजिंग में हुए निशानेबाजी विश्व कप में उन्होंने रजत पदक जीता और ओलंपिक में स्थान सुनिश्चित किया। हालांकि, 2012 ओलंपिक में फाइनल दौड़ में जगह नहीं बना सके।
निशानेबाजी में रंजन सोढ़ी के योगदान को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार (2009 में) और खेल रत्न पुरस्कार (2013 में) से सम्मानित किया है। खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले रंजन सोढ़ी सातवें निशानेबाज हैं।
रंजन सोढ़ी युवा निशानेबाजों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। वे कोचिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं और साथ ही शूटिंग लीग ऑफ इंडिया को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।