क्या चांदी पर बैठना पसंद नहीं है, रवि दहिया का लक्ष्य सोना है?

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क्या चांदी पर बैठना पसंद नहीं है, रवि दहिया का लक्ष्य सोना है?

सारांश

रवि दहिया, हरियाणा के कुश्ती के उभरते सितारे, ओलंपिक में स्वर्ण पदक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके प्रयास और उपलब्धियों से भारतीय कुश्ती को नई पहचान मिल रही है। जानिए क्या है उनका अगला लक्ष्य?

Key Takeaways

  • रवि दहिया का जन्म 12 दिसंबर 1997 को हुआ था।
  • उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता है।
  • उनका अगला लक्ष्य लॉस एंजेलेस ओलंपिक में स्वर्ण पदक है।
  • रवि ने 2018, 2020, और 2021 में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते हैं।
  • उनके पिता की मेहनत ने उन्हें कुश्ती में प्रेरित किया।

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रवि कुमार दहिया भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जिनसे भविष्य में ओलंपिक जैसे वैश्विक मंच पर स्वर्णिम प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है।

रवि का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी में 12 दिसंबर 1997 को हुआ था। हरियाणा को भारतीय कुश्ती का केंद्र माना जाता है। रवि को इस खेल का प्रभाव अपने घर में भी देखने को मिला, क्योंकि उनके पिता राकेश दहिया किसान हैं, जबकि उनकी मां ऊर्मिला देवी और चाचा मुकेश दहिया कुश्ती से जुड़े रहे हैं। इस कारण से रवि को कुश्ती विरासत में मिली है, जिसे उन्होंने अपने अथक परिश्रम से सफल और समृद्ध बनाया है।

रवि ने मात्र 10 साल की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। रोजाना उनके पिता 39 किलोमीटर की दूरी तय कर उन्हें ताजा दूध और फल लाकर देते थे। यह प्रक्रिया तब तक चलती रही जब तक रवि एक बड़े पहलवान के रूप में नहीं उभरे। इस मेहनत में उनके पिता की भूमिका उनके पहलवान बनने की दिशा में एक बड़ी प्रेरणा रही है।

रवि ने सतपाल सिंह की देखरेख में कोचिंग शुरू की थी। सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे पहलवान भी सतपाल सिंह से ही प्रशिक्षित हुए और ओलंपिक पदक विजेता बने। आज रवि दहिया का नाम भी इस सूची में शामिल है।

रवि को 2018 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में पहचान मिली, जहाँ उन्होंने 57 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता। 2019 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में अपनी जगह सुनिश्चित की। रवि एशियाई चैंपियनशिप के बादशाह हैं, जहाँ उन्होंने 2018, 2020, और 2021 में स्वर्ण पदक जीते।

दहिया के जीवन का सबसे बड़ा क्षण टोक्यो ओलंपिक था, जहाँ उन्होंने 57 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में रजत पदक जीतकर अपनी ताकत का लोहा मनवाया। हालांकि फाइनल में मिली हार से वह खुश नहीं थे। उन्होंने कहा, 'मैं चांदी पर नहीं बैठ सकता। सोना ही मेरा लक्ष्य है।'

टोक्यो ओलंपिक के बाद, 2022 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में रवि ने स्वर्ण पदक जीता।

2024 में पेरिस में ओलंपिक में जगह बनाने में असफल रहे रवि अब अपना भार वर्ग बदलकर लॉस एंजेलेस ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। अब वह 57 किग्रा की जगह 65 किग्रा भार वर्ग में हिस्सा ले सकते हैं। फ्रीस्टाइल कुश्ती के इस धाकड़ पहलवान से देश को अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक की उम्मीद है।

भारत सरकार ने रवि दहिया को पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है।

Point of View

बल्कि उन्होंने युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया है। उनके संघर्ष और समर्पण ने उन्हें एक राष्ट्रीय आइकन बना दिया है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

रवि दहिया की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
रवि दहिया ने 2018 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक, 2019 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक, और 2020 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है।
रवि दहिया का अगला लक्ष्य क्या है?
रवि दहिया का अगला लक्ष्य 2024 के लॉस एंजेलेस ओलंपिक में 65 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतना है।
क्या रवि दहिया ने कोई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं?
जी हाँ, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है।
रवि दहिया का कोच कौन है?
रवि दहिया की कोचिंग सतपाल सिंह द्वारा की गई है।
रवि दहिया ने कब अपने करियर की शुरुआत की थी?
रवि ने 10 साल की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती प्रशिक्षण लेना शुरू किया था।
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