क्या रवि पुनिया ने महिला फुटबॉल कोच के रूप में पदकों की झड़ी लगाई?

सारांश
Key Takeaways
- रवि पुनिया ने महिला फुटबॉल में नई ऊंचाइयों को छुआ है।
- टीमों को पदक दिलाकर उन्होंने इतिहास बनाया है।
- महिला खेल के विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
- सही मार्गदर्शन से खिलाड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
- पुनिया का कोचिंग करियर एक मजबूत खेल पृष्ठभूमि पर आधारित है।
नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। रवि कुमार पुनिया ने भारतीय महिला फुटबॉल में मुख्य कोच के रूप में सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में टीमों को पदक दिलाकर इतिहास रच दिया।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में बुधवार को सब-जूनियर गर्ल्स नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप 2025-26 टियर 2 के फाइनल में उनकी कोचिंग में उत्तर प्रदेश ने केरल को 2-1 से हराया। इस जीत के साथ पुनिया के नाम एक खास उपलब्धि जुड़ गई।
पूनिया ने इससे पहले 2021 में दादर और नागर हवेली को जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक जितवाया था। फाइनल में टीम ने बिहार को 1-0 से हराया था। हरियाणा को 2023 में उन्होंने अपनी कोचिंग में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचाया था, टीम को मणिपुर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 2024 में टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था।
यूपी की जीत के बाद पुनिया ने कहा, "तीनों श्रेणियों में पदक जीतना मेरे सफर का एक गौरवपूर्ण क्षण है, लेकिन मैं इसे भारत में महिला फुटबॉल के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखता हूं। ये परिणाम दर्शाते हैं कि जब हम खिलाड़ियों पर भरोसा करते हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन देते हैं, तो वे हर स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। मेरा लक्ष्य महिला खेल के विकास में योगदान देना जारी रखना और युवा खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाना है कि वे उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।"
पुनिया ने क्लब फुटबॉल में भी अपनी एक सशक्त पहचान बनाई है। तीन सीजन तक उन्होंने इंडियन विमेंस लीग में एचओपीएस एफसी के मुख्य कोच के रूप में काम किया है। उन्होंने 15 से ज्यादा राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कोचिंग की है और विभिन्न स्तरों पर प्रतिभाओं को विकसित करने का व्यापक अनुभव प्राप्त किया है।
उनका कोचिंग करियर एक मजबूत खेल पृष्ठभूमि पर आधारित है। वह राजस्थान यूनाइटेड एफसी टीम का हिस्सा थे जिसने आई-लीग क्वालीफायर जीता, अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप जीती और संतोष ट्रॉफी में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। एक खिलाड़ी के रूप में उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें प्रतिस्पर्धी फुटबॉल की समझ प्रदान की है। बतौर खिलाड़ी उनकी सफलता ने कोच के रूप में उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाई है।