क्या साक्षी मलिक ने ओलंपिक में कुश्ती से नया इतिहास रचा?

सारांश
Key Takeaways
- साक्षी मलिक ने 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
- वे भारत की पहली महिला पहलवान हैं जिन्होंने ओलंपिक मेडल जीता।
- महिला कुश्ती को नई पहचान दिलाने में साक्षी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
- उनकी कहानी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है।
- साक्षी ने कुश्ती के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। साक्षी मलिक भारत की प्रमुख महिला पहलवान हैं, जिन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर एक नया इतिहास रचा। साक्षी, ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने एक ऐसे खेल में भारत को ओलंपिक मेडल दिलाया, जिसमें लड़कियों को खेलने की अनुमति परिवारों द्वारा मुश्किल से मिलती थी। साक्षी की इस सफलता ने भारत में महिला कुश्ती को एक नई पहचान दी है।
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ। उनके दादा सुबीर मलिक एक पहलवान थे, जिनकी प्रेरणा से साक्षी ने पहलवानी की शुरुआत की।
सिर्फ 12 साल की उम्र में, साक्षी ने ईश्वर दहिया से कुश्ती की ट्रेनिंग लेना शुरू किया। पांच साल बाद, उन्होंने एशियन जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप 2009 में 59 किग्रा फ्रीस्टाइल में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद 2010 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किया।
हालांकि साक्षी को कुश्ती का शौक था, परंतु उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। स्कूल के बाद, वह अखाड़े में जाकर कुश्ती के दांव-पेंच सीखती थीं। एक इंटरव्यू में, साक्षी ने बताया कि उन्हें लड़कों के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ती थी क्योंकि उनके क्षेत्र में यह खेल लड़कियों के लिए नहीं था।
साक्षी मलिक ने 2013 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता, और 2017 में गोल्ड अपने नाम किया।
कॉमनवेल्थ गेम्स में, साक्षी के नाम तीन पदक हैं। उन्होंने 2014 में सिल्वर, 2018 में ब्रॉन्ज और 2022 में गोल्ड जीते।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2016 के रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतना है। वह भारत की पहली महिला पहलवान हैं, जिन्होंने ओलंपिक मेडल हासिल किया।
साक्षी ने ओलंपिक वर्ल्ड क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के 58 किग्रा सेमीफाइनल में चीन की झांग लान को हराकर ओलंपिक में अपनी जगह बनाई।
रियो 2016 ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में रूस की वेलेरिया कोब्लोवा से हारने के बावजूद, साक्षी ने मंगोलियाई पहलवान पुरेवदोरजिन ओरखोन के खिलाफ अपना रेपचेज राउंड जीतकर भारत को पदक दिलाया। उन्होंने ऐसुलु टिनीबेकोवा को 8-5 से हराकर एक नई उपलब्धि हासिल की।
2016 में ओलंपिक मेडल जीतने के बाद, साक्षी मलिक को भारतीय रेलवे में दिल्ली डिवीजन के वाणिज्यिक विभाग में नियुक्त किया गया। जिस महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) से साक्षी ने पढ़ाई की, उसी विश्वविद्यालय ने उन्हें 2016 में कुश्ती निदेशक नियुक्त किया।
हालांकि साक्षी मलिक टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड जीतकर उन्होंने अपनी स्थिति को फिर से साबित किया। दिसंबर 2023 में, उन्होंने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान किया।
साक्षी मलिक को 2016 में 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया और 2017 में 'पद्म श्री' पुरस्कार मिला। उसी साल, साक्षी ने भारतीय पहलवान सत्यव्रत कादियान से विवाह किया।