क्या संजय मांजरेकर के बयानों ने उन्हें क्रिकेट से ज्यादा प्रसिद्ध किया?

सारांश
Key Takeaways
- संजय मांजरेकर का जन्म 12 जुलाई 1965 को हुआ था।
- उन्होंने 37 टेस्ट और 74 वनडे खेले हैं।
- उनकी कमेंट्री में विवादित बयानों की भरमार है।
- बीसीसीआई ने उन्हें 2019 में विवाद के चलते हटाया था।
- वे एक ठोस बल्लेबाज थे, लेकिन उनकी स्ट्राइक रेट पर सवाल उठते रहे हैं।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। किसी क्रिकेटर की पहचान आमतौर पर उसके प्रदर्शन से होती है, लेकिन कुछ क्रिकेटर ऐसे भी होते हैं जो अपने बोलने के अंदाज़ के कारण सुर्खियों में रहते हैं। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर का नाम इन्हीं में से एक है।
संजय मांजरेकर का जन्म 12 जुलाई 1965 को कर्नाटक के मंगलोर में हुआ, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट मुंबई के लिए खेला। वह दाएं हाथ के टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज रहे। 1987 से 1996 के बीच भारतीय टीम के लिए उन्होंने 37 टेस्ट और 74 वनडे मैच खेले। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 4 शतक की मदद से 2,043 रन बनाए और वनडे में 1 शतक एवं 15 अर्धशतकों के साथ 1,994 रन बनाए।
क्रिकेट से संन्यास
उदाहरण के लिए, जब संजय मांजरेकर ने टी20 विश्व कप के लिए अपनी टीम चुनी, तो उसमें विराट कोहली को शामिल नहीं किया, जिसके लिए उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी। विश्व कप फाइनल में कोहली की शानदार पारी के चलते ही भारतीय टीम चैंपियन बनी थी। मांजरेकर ने कोहली की प्रारंभिक फॉर्म के बारे में भी कड़ी टिप्पणियाँ की थीं।
इसी तरह, जब उन्होंने रवींद्र जडेजा को नियमित ऑलराउंडर मानने से इनकार किया, तो इस पर भी आलोचना हुई। यह विवाद इतना बढ़ गया कि जडेजा ने सीधे सोशल मीडिया पर मांजरेकर के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की। मांजरेकर ने रविचंद्रन अश्विन की महानता पर सवाल उठाने से लेकर हार्दिक पांड्या की बल्लेबाजी को लेकर भी कई विवादित टिप्पणियाँ की हैं।
2019 में विश्व कप के दौरान जडेजा के खिलाफ दिए गए 'बिट्स एंड पीसेज' बयान के लिए बीसीसीआई ने 2020 में उन्हें कमेंट्री पैनल से हटा दिया था। हालांकि, माफी मांगने के बाद उन्हें पुनः शामिल किया गया। मांजरेकर की कमेंट्री का अपना एक अलग अंदाज है और वह अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। इस समय वह भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में कमेंट्री कर रहे हैं।
संजय मांजरेकर ने भारत के लिए 74 वनडे मैच खेलते हुए 33.23 की औसत के साथ 3101 रन बनाए। वह एक ऐसे बल्लेबाज थे जिनकी तकनीक काफी ठोस थी, लेकिन उनकी स्ट्राइक रेट अक्सर आलोचना का विषय रही है।