क्या सुंदर सिंह गुर्जर ने देश को लगातार दो पैरालंपिक में पदक दिलाए?
सारांश
Key Takeaways
- सुंदर सिंह गुर्जर की संघर्ष की कहानी प्रेरणादायक है।
- पैरालंपिक में पदक जीतकर उन्होंने देश का नाम रोशन किया।
- कोच की सलाह ने उनकी जिंदगी को नया मोड़ दिया।
- जैवलिन में उनकी सफलता ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिलाया।
- वह राजस्थान वन विभाग में पदाधिकारी हैं।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पिछले एक दशक में भारत में जिन खेलों ने सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है, उनमें जैवलिन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ओलंपिक और पैरालंपिक दोनों में भारतीय खिलाड़ियों ने इस खेल में अपार सफलता पाई है, जिससे देश का नाम रोशन हुआ है।
पैरा एथलेटिक्स में सुंदर सिंह गुर्जर का नाम जैवलिन में विशेष रूप से जाना जाता है। सुंदर सिंह ने लगातार दो पैरालंपिक में जैवलिन में भारत के लिए पदक जीते हैं।
सुंदर सिंह गुर्जर का जन्म 1 जनवरी 1996 को करौली, राजस्थान में हुआ। बचपन से ही उनकी रुचि पढ़ाई में कम और खेल में अधिक थी। उनके पिता और भाई कुश्ती खेलते थे, लेकिन एक कोच की सलाह पर सुंदर ने 2012 में जैवलिन थ्रो की शुरुआत की। पहले वह सामान्य श्रेणी में खेलते थे, लेकिन 2015 में एक दुर्घटना में उनका बायां हाथ कट गया। इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया और उन्होंने जैवलिन छोड़ने का विचार किया, परंतु उनके कोच महावीर प्रसाद सैनी ने उन्हें हिम्मत न हारने के लिए प्रेरित किया।
कोच की सलाह ने सुंदर की ज़िंदगी को नई दिशा दी। उन्होंने पैरा एथलेटिक्स में जैवलिन में भारत के लिए पदक जीतने का सपना देखा और वे एफ46 कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करने लगे। सुंदर ने 2016 में रियो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन कॉल रूम में देरी के कारण उन्हें डिस्क्वालीफाई कर दिया गया।
सुंदर सिंह की सफलता की कहानी 2017 में शुरू हुई जब उन्होंने लंदन में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद 2019 में दुबई में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2018 एशियन पैरा गेम्स में रजत और 2023 हांगझोउ एशियन पैरा गेम्स में उन्होंने 68.60 मीटर की थ्रो करके विश्व रिकॉर्ड तोड़ा और स्वर्ण पदक जीता।
सुंदर ने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में 64.01 मीटर थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता और फिर 2024 पैरालंपिक में 64.96 मीटर थ्रो के साथ कांस्य जीता। हाल ही में 2025 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने रजत पदक जीता।
जैवलिन में सुंदर सिंह गुर्जर की उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है। वह राजस्थान वन विभाग में सहायक कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर हैं।