क्या है स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित 'संडे ऑन साइकिल', फिटनेस के साथ स्वदेशी अपनाने का संदेश?

सारांश
Key Takeaways
- साइकिलिंग से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- प्रदूषण कम करने का एक उपाय है।
- स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।
- समाज में सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
- साइकिलिंग से मोटापा कम होता है।
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने रविवार सुबह नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल के 44वें संस्करण का नेतृत्व किया। यह कार्यक्रम देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित था, जिसका आयोजन पूरे भारत के विभिन्न स्थानों पर किया गया।
इस अवसर पर स्वास्थ्य कर्मियों की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, "आपका संदेश मरीजों के लिए आशीर्वाद है। वे आपकी बातों का अनुसरण करते हैं। कोरोना काल के दौरान मैं हेल्थ मिनिस्टर था। उस समय डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने पूरे समर्पण के साथ देश की सेवा की। 'संडे ऑन साइकिल' के दौरान हम देश को लगातार स्वदेशी, आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत का संदेश देते रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हमें साइकिल का उपयोग व्हीकल के रूप में करना चाहिए। साइकिलिंग पॉल्यूशन का समाधान है। साइकिलिंग से स्वास्थ्य का मंथन होता है। ये फिट इंडिया का संदेश है। इससे मोटापा कम होता है। साइकिलिंग का मतलब फिटनेस है, और फिटनेस का मतलब साइकिलिंग है।"
'फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल' कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए साल 2019 में शुरू किए गए 'फिट इंडिया मूवमेंट' का हिस्सा है।
'संडे ऑन साइकिल' का उद्देश्य देशवासियों को हर रविवार योग, साइकिलिंग और खेलकूद जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
समाज में सामूहिक भागीदारी के साथ स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के साथ ही साइकिलिंग के जरिए प्रदूषण और ट्रैफिक जाम को भी कम किया जा सकता है।
साइकिलिंग के जरिए एंडोर्फिन जैसे हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे तनाव कम होता है। यह हृदय स्वास्थ्य में भी उपयोगी है। इससे न सिर्फ मोटापा कम होता है, बल्कि पैरों, कंधों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
'फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल' को न सिर्फ केंद्रीय मंत्रियों, बल्कि दिग्गज कलाकारों और खिलाड़ियों जैसी हस्तियों का भी समर्थन प्राप्त है।