क्या सैयद किरमानी ने विकेटकीपिंग में नई दिशा दी?
सारांश
Key Takeaways
- सैयद किरमानी का जन्म 29 दिसंबर 1949 को हुआ।
- उन्होंने 1976 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
- किरमानी ने 1983 में विश्व कप जीता।
- उन्हें 1982 में पद्मश्री मिला।
- किरमानी ने 88 टेस्ट मैचों में 2759 रन बनाए।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सैयद किरमानी का नाम एक उत्कृष्ट विकेटकीपर के रूप में उभरता है। किरमानी ने विकेटकीपिंग में अपने समय से कहीं आगे जाकर नई तकनीक प्रस्तुत की, जिससे उन्होंने बाद में आने वाले विकेटकीपरों के लिए एक आदर्श स्थापित किया।
सैयद किरमानी का जन्म 29 दिसंबर 1949 को चेन्नई में हुआ। यह वह दौर था जब भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की थी और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा था। बचपन से देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखने वाले किरमानी ने कर्नाटक और रेलवे के लिए घरेलू क्रिकेट खेला और 1976 में अपनी प्रतिभा के दम पर पहली बार भारतीय टीम में शामिल हुए। उनका पहला अंतरराष्ट्रीय मैच टेस्ट था, जो न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला गया। इसी साल फरवरी में उन्होंने वनडे में भी पदार्पण किया।
1976 से 1986 के बीच, अपने 10 साल
किरमानी ने भारतीय टीम में फारुख इंजीनियर की जगह ली और आगे चलकर देश के सबसे बेहतरीन विकेटकीपरों में से एक बन गए।
वह 1983 में वनडे विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा थे।
अपने करियर के दौरान, किरमानी ने 88 टेस्ट मैचों की 124 पारियों में 2,759 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 12 अर्धशतक शामिल थे। इसके अलावा, उन्होंने 160 कैच38 स्टंप किए। वहीं, 49 वनडे में उन्होंने 373 रन बनाए, जिसमें 27 कैच और 9 स्टंपिंग शामिल थे।
सैयद किरमानी को 1982 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और 2016 में उन्हें कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया।