क्या वेदा कृष्णमूर्ति ने कराटे से क्रिकेट के मैदान तक का सफर तय किया?

सारांश
Key Takeaways
- वेदा कृष्णमूर्ति ने कराटे से क्रिकेट का सफर तय किया।
- उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में भारतीय टीम का हिस्सा बनने का सपना पूरा किया।
- उनका मानना है कि कराटे ने उन्हें क्रिकेट के लिए शारीरिक रूप से तैयार किया।
- वे 2017 और 2020 में विश्व कप के फाइनल का हिस्सा रही थीं।
- वर्तमान में, वे कमेंटेटर के रूप में कार्यरत हैं।
नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलना हर महिला क्रिकेटर का एक सपना है। परंतु, यह सफर इतना सरल नहीं होता। अपनी क्षमता को साबित करने के साथ-साथ उन्हें समाज की परंपरागत सोच से भी जूझना पड़ता है। लेकिन, जो इस राह पर अडिग रहती हैं, वो अपनी मंजिल तक पहुँच जाती हैं। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं वेदा कृष्णमूर्ति, जिन्होंने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा और महज 18 वर्ष की उम्र में इसे साकार किया।
वेदा कृष्णमूर्ति का जन्म 16 अक्टूबर 1992 को कर्नाटक के चिकमंगलुरु में हुआ। उन्होंने तीन साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। बचपन में उन्हें कराटे की ट्रेनिंग भी दी गई थी। हालांकि, वेदा को कराटे पसंद नहीं था, पर घर के दबाव में उन्होंने इसे सीखा और 12 वर्ष की उम्र में ब्लैक बेल्ट जीता। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने क्रिकेट की प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेना शुरू किया। वेदा का मानना है कि भले ही उन्हें कराटे पसंद नहीं था, लेकिन इस खेल ने उनके शारीरिक विकास में मदद की। अपने पहले कोच इरफान सैट को वे अपनी सफलता का श्रेय देती हैं।
वेदा कृष्णमूर्ति ने जून 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 मैच से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। इसी महीने में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में भी उन्होंने पदार्पण किया।
2011 से 2020 तक, वेदा ने 48 वनडे मैचों में 8 अर्धशतक लगाकर 829 रन बनाए और 3 विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 71 रहा। वहीं, 76 टी20 मैचों में उन्होंने 2 अर्धशतक लगाकर 875 रन बनाए। वे 2017 में वनडे विश्व कप और 2020 में टी20 विश्व कप के फाइनल खेलने वाली टीम का हिस्सा थीं।
जुलाई 2025 में, वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया।
सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, "एक छोटे शहर की लड़की, जिसके सपने बड़े थे। कदुर में यह सब शुरू हुआ। जब मैंने बल्ला उठाया, तो मुझे सिर्फ इतना पता था कि मुझे इस खेल से प्यार है। मुझे गर्व है कि मैंने संकरी गलियों से दुनिया के बड़े स्टेडियमों तक खेला। क्रिकेट ने मुझे करियर से अधिक दिया। इसने मुझे सिखाया कि कैसे लड़ना है, गिरना है और खुद को साबित करना है। आज, मैं इस अध्याय को पूरे दिल से समाप्त कर रही हूँ।"
वेदा कृष्णमूर्ति अब कमेंटेटर के रूप में क्रिकेट से जुड़ी हुई हैं।