क्या वेटलिफ्टिंग सैनिकों के बीच ताकत परखने वाला खेल है, जिसने ओलंपिक में खास पहचान बनाई?

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क्या वेटलिफ्टिंग सैनिकों के बीच ताकत परखने वाला खेल है, जिसने ओलंपिक में खास पहचान बनाई?

सारांश

वेटलिफ्टिंग एक ऐसा खेल है जो शक्ति, सहनशक्ति और संतुलन को परखता है। इसमें स्नैच और क्लीन एंड जर्क दो मुख्य तकनीकें हैं। जानें कैसे यह खेल ओलंपिक में एक विशेष पहचान बनाता है।

Key Takeaways

  • वेटलिफ्टिंग एक महत्वपूर्ण खेल है जो शक्ति का प्रदर्शन करता है।
  • इसमें स्नैच और क्लीन एंड जर्क दो मुख्य तकनीकें हैं।
  • भारत ने इस खेल में कई अंतरराष्ट्रीय सफलताएँ हासिल की हैं।
  • युवाओं के लिए यह एक प्रेरणादायक क्षेत्र है।
  • उच्च प्रशिक्षण और संसाधनों की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वेटलिफ्टिंग एक ऐसा खेल है जो शक्ति, सहनशक्ति और संतुलन को परखता है, जिसमें स्नैच और क्लीन एंड जर्क दो मुख्य विधाएँ होती हैं। इस खेल में आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियों को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग बहुत प्रसिद्ध खेल है।

एक समय था जब मानव ने भार उठाकर कार्यों को अंजाम दिया, लेकिन समय के साथ इसे शारीरिक ताकत से जोड़ा जाने लगा। लोग एक-दूसरे से अधिक वजन उठाने की होड़ में लग गए, जिससे इस खेल का जन्म हुआ।

प्राचीन ग्रीस, चीन, मिस्र और मेसोपोटामिया में योद्धा भारी वस्तुओं को उठाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते थे, जिसने वेटलिफ्टिंग की नींव रखी। धीरे-धीरे अन्य देशों में पहलवानों ने इसे खेल के रूप में अपनाया। 19वीं शताब्दी के अंत तक, वेटलिफ्टिंग ने एक अंतरराष्ट्रीय खेल के रूप में अपनी पहचान बना ली थी।

1896 में एथेंस ओलंपिक में इस खेल को शामिल किया गया। हालांकि, यह 1900, 1908 और 1912 के संस्करणों में शामिल नहीं था। इन तीन संस्करणों को छोड़कर, वेटलिफ्टिंग हर ओलंपिक का हिस्सा रही है। 1935 में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ की स्थापना हुई, जिसके बाद भारत ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में पहली बार इस खेल में भाग लिया।

2000 के सिडनी ओलंपिक में महिलाओं ने भी इस खेल में भाग लेना शुरू किया। इसी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने 54 किलोग्राम श्रेणी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उसके बाद मीराबाई चानू ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में 49 किलोग्राम श्रेणी में सिल्वर मेडल हासिल किया।

वेटलिफ्टिंग में प्रतियोगी विभिन्न बॉडीवेट कैटेगरी में भाग लेते हैं। ओलंपिक में इसके दो चरण होते हैं: 'स्नैच' और 'क्लीन एंड जर्क'। वेटलिफ्टर्स को दोनों श्रेणियों में तीन-तीन मौके मिलते हैं, और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास जोड़ा जाता है। दोनों श्रेणी के वजन को जोड़कर विजेता का निर्धारण किया जाता है।

'स्नैच' में वेटलिफ्टर बारबेल को उठाकर इसे अपने सिर के ऊपर एक साथ उठाते हैं, जबकि 'क्लीन एंड जर्क' में वेटलिफ्टर पहले बारबेल को उठाकर अपनी छाती तक ले जाता है। उसे इस स्थिति में कुछ क्षण रुकना होता है। इसके बाद वह बारबेल को सिर के ऊपर ले जाता है। इस दौरान उसकी कोहली को सीधा रखना आवश्यक है। बजर बजने तक वेटलिफ्टर को बारबेल को सिर के ऊपर रखना होता है।

भारत में सीनियर के साथ-साथ युवा और जूनियर स्तर पर वेटलिफ्टिंग तेजी से विकसित हो रही है। विश्व स्तर पर भारत के वेटलिफ्टर्स ने अपनी पहचान बनाई है। युवा खिलाड़ी और जूनियर स्तर के एथलीट इस खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, जो भविष्य के लिए एक मजबूत आधार है। कड़ी ट्रेनिंग, उत्कृष्ट संसाधन, अच्छी कोचिंग और सपोर्ट के साथ, भारत को ओलंपिक में इस खेल में और भी अधिक मेडल मिलने की संभावना है।

Point of View

हम मानते हैं कि वेटलिफ्टिंग केवल खेल नहीं है, बल्कि यह भारत के युवा एथलीटों के लिए एक संजीवनी है, जो उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में मदद कर रहा है। यह खेल भारतीय सपनों को साकार करने का एक माध्यम है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

वेटलिफ्टिंग क्या है?
वेटलिफ्टिंग एक खेल है जिसमें एथलीट भारी वजन उठाते हैं। इसमें स्नैच और क्लीन एंड जर्क दो मुख्य तकनीकें शामिल हैं।
वेटलिफ्टिंग ओलंपिक में कब शामिल हुआ?
वेटलिफ्टिंग पहली बार 1896 के एथेंस ओलंपिक में शामिल किया गया था।
भारत के वेटलिफ्टर्स ने कौन-कौन से पदक जीते हैं?
भारत के वेटलिफ्टर्स ने ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी से लेकर मीराबाई चानू तक कई पदक जीते हैं।
वेटलिफ्टिंग में प्रतियोगिता कैसे होती है?
वेटलिफ्टिंग में प्रतियोगी विभिन्न बॉडीवेट कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करते हैं और उन्हें स्नैच और क्लीन एंड जर्क में तीन मौके मिलते हैं।
क्या वेटलिफ्टिंग में महिलाएं भी भाग लेती हैं?
जी हां, 2000 के सिडनी ओलंपिक से महिलाओं ने भी वेटलिफ्टिंग में भाग लेना शुरू किया।
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