क्या 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों की अगली पीढ़ी को रोजगार मिलेगा?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के आश्रितों को रोजगार देने की नीति बनाई है।
- नई नीति में परिवार की अगली पीढ़ी को रोजगार का अवसर मिलने का प्रावधान है।
- आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में छूट दी गई है।
- यह नीति न्याय और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- सरकार ने पारदर्शिता के लिए तंत्र स्थापित किया है।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें १९८४ के सिख विरोधी दंगों में मारे गए पीड़ितों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने की नीति को मंजूरी दी गई।
यह निर्णय दिल्ली सरकार की संवेदनशीलता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही उन परिवारों के लिए राहत और सम्मान का प्रतीक है, जो पिछले चार दशकों से न्याय और आर्थिक पुनर्वास की तलाश में हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि यह नई नीति वर्ष २००७ में लिए गए मंत्रिमंडलीय निर्णय के बाद से लंबित रोजगार सहायता मामलों को शीघ्रता से निपटाने की दिशा में एक ठोस पहल है।
उन्होंने कहा कि पिछले १८ वर्षों से यह प्रक्रिया विभिन्न कारणों से पूरी नहीं हो सकी थी। अब सरकार ने एक स्पष्ट और व्यवस्थित नीति लागू की है, जिससे पात्र परिवारों को शीघ्र रोजगार सहायता मिलेगी और कोई भी योग्य आश्रित वंचित नहीं रहेगा।
नई नीति की प्रमुख विशेषता यह है कि जिन पीड़ितों के आश्रित ५० वर्ष से अधिक आयु के हो गए हैं, उन्हें परिवार की अगली पीढ़ी के नामांकन का विकल्प दिया गया है। इससे परिवार को वास्तविक लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति में आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में आवश्यक छूट दी गई है। यह सभी प्रावधान दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार होंगे। नियुक्तियों की प्रक्रिया न्यायसंगत और जवाबदेह ढंग से संचालित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय दिल्ली सरकार का पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदनशीलता और उनके सम्मान, न्याय एवं आर्थिक पुनर्वास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारी सरकार सुनिश्चित करेगी कि कोई भी पात्र परिवार अब और प्रतीक्षा न करे।