क्या 2005 में दीपावली के दो दिन पहले दिल्लीवासियों ने देखा था सबसे खौफनाक मंजर?

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क्या 2005 में दीपावली के दो दिन पहले दिल्लीवासियों ने देखा था सबसे खौफनाक मंजर?

सारांश

2005 में दीपावली से पहले दिल्ली में हुए भयानक बम धमाकों की कहानी, जहां 60 से अधिक लोगों ने जान गंवाई। जानिए इस आतंकवादी घटना की पृष्ठभूमि और उसकी भयावहता के बारे में।

Key Takeaways

  • 2005 में दिल्ली में हुए बम धमाकों ने 60 से अधिक लोगों की जान ली।
  • सरोजिनी नगर और पहाड़गंज में धमाका हुआ।
  • डीटीसी बस के ड्राइवर ने कई लोगों की जान बचाई।
  • इस घटना का मुख्य कारण आतंकवाद से संबंधित था।
  • सुरक्षा में कमी और तकनीकी खराबी से स्थिति बिगड़ी।

29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2005, दिनांक 29 अक्टूबर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का हर हिस्से, हर गली, हर बाजार रोशनी, उम्मीद और ख़रीददारी की गहमा-गहमी में डूबा हुआ था। पहाड़गंज के मुख्य बाजार से लेकर दक्षिणी दिल्ली के सरोजिनी नगर तक, हर जगह पैर रखने की भी जगह नहीं थी। लोग अपनी मेहनत की कमाई से घर को सजाने, अपने प्रियजनों को तोहफे देने और नए भविष्य की नींव रखने में व्यस्त थे।

सरोजिनी नगर के संकरे गलियारों में साड़ियों, गहनों, मिट्टी के दीयों और रंग-बिरंगी लाइटों की दुकानें ग्राहकों से भरी हुई थीं। हर चेहरे पर मुस्कान थी, हर आँख में त्योहार का सपना था।

दूसरी ओर, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास, पहाड़गंज का बाजार यात्रियों और स्थानीय लोगों से खचाखच भरा था। दिवाली से पहले अपने गांव जाने वाले यात्री स्टेशन के पास ही आखिरी खरीदारी कर रहे थे।

वहीं गोविंदपुरी के डीटीसी बस में यात्रियों की भारी भीड़ थी। ठीक शाम के 5 बजकर 38 मिनट पर, पहाड़गंज बाजार में सबसे पहला धमाका हुआ। यह धमाका इतना जोरदार था कि बाजार की खुशी की आवाजें एक क्षण में कांच के टुकड़ों की तरह बिखर गईं। केवल चीखें और धुएं का गुबार दिख रहा था। दिल्ली अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि ठीक 6 बजे, दक्षिणी दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में एक डीटीसी बस में दूसरा धमाका हुआ।

यह धमाका भी उतना ही घातक हो सकता था, लेकिन बस के ड्राइवर कुलदीप सिंह ने तुरंत भांप लिया कि सीट के नीचे रखा लावारिस बैग क्या है। बिना एक पल सोचे, उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए बैग को बस की खिड़की से बाहर फेंक दिया। बस के बाहर धमाका हुआ। कई लोग घायल हुए, लेकिन कुलदीप सिंह के साहस ने बस में सवार 70 से अधिक लोगों की जिंदगी बचा ली।

फिर, ठीक 6 बजकर 5 मिनट पर, आतंक का तीसरा और सबसे क्रूर प्रहार सरोजिनी नगर बाजार में हुआ। यहां की भीड़ पहाड़गंज से भी घनी थी। दीपावली से पहले धनतेरस पर लोग खरीदारी कर रहे थे। तभी, एक ब्लास्ट हुआ। लोग बताते हैं कि यह धमाका इतना भयानक था कि जिस दुकान के सामने विस्फोट हुआ था, उसके काउंटर पर बैठे शख्स का शरीर दो हिस्सों में मिला। यहां 50 से अधिक लोगों की जान चली गई।

पीड़ितों में वो परिवार थे जो दीये और मोमबत्तियां खरीद रहे थे, वो बच्चे जो खिलौनों की जिद कर रहे थे और वो दुकानदार जो अपने ग्राहकों की सेवा में लगे थे।

धनतेरस के दिन दिल्ली के इन तीन सीरियल ब्लास्ट में 60 से ज्यादा मौतें हुई थीं और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

हमले के पीछे की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है कि दिल्ली के लाल किले में 22 दिसंबर 2000 को जो हमला किया गया था, उसके मुख्य आरोपी अफजल गुरु और अन्य आरोपियों की सजा पर 29 अक्टूबर 2005 को कड़कड़डूमा स्थित एडिशनल सेशन जज ओ पी सैनी की अदालत में फैसला होना था।

पुलिस स्टेशन में अंजान व्यक्ति ने फोन कर कहा था कि अगर हमारे साथियों को सजा पर फैसला सुनाया गया तो हम कोर्ट परिसर में बम धमाका कर देंगे, जिसके बाद कोर्ट परिसर की सुरक्षा तुरंत बढ़ा दी गई। कोर्ट में तकनीकी खराबी के कारण बिजली न होने की वजह से उस दिन कोई फैसला नहीं सुनाया गया, लेकिन उसी शाम दिल्ली में तीन सिलसिलेवार बम धमाकों ने दहला दिया।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी एकजुटता कितनी महत्वपूर्ण है। हर भारतीय को इस तरह की घटनाओं से सबक लेना चाहिए और एकजुट होकर अपने देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

2005 में दिल्ली में क्या हुआ था?
2005 में 29 अक्टूबर को दिल्ली में तीन सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, जिनमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे।
इस घटना में कितने लोग घायल हुए थे?
इस घटना में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
क्या इस घटना का कोई कारण था?
इस घटना का मुख्य कारण 2000 में लाल किले पर हुए हमले के आरोपियों की सजा को लेकर था।
क्या किसी ने इस घटना में अपने जीवन की परवाह की?
हाँ, डीटीसी बस के ड्राइवर कुलदीप सिंह ने एक लावारिस बैग को बाहर फेंककर कई लोगों की जान बचाई।
क्या सुरक्षा में कोई कमी थी?
सुरक्षा में कमी का एक कारण था कि कोर्ट में तकनीकी खराबी के कारण उस दिन कोई फैसला नहीं सुनाया गया।