क्या 28 अक्तूबर 1940 को ग्रीस ने इटली को 'न' कहकर इतिहास रचा?
सारांश
Key Takeaways
- 28 अक्टूबर 1940 को ग्रीस ने इटली को 'न'
- ओही डे ग्रीस के आत्मसम्मान का प्रतीक है।
- यह घटना ग्रीक पहचान का हिस्सा बन चुकी है।
- सालाना उत्सव में परेड और झंडारोहण होते हैं।
- यह साहस और आज़ादी का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कभी-कभी एक 'हां' वो काम नहीं कर पाती जो एक 'न' से संभव होता है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण कई दशकों पहले हुआ। दो देशों के प्रमुख नेता आमने-सामने थे। एक बहुत शक्तिशाली था जबकि दूसरा अपेक्षाकृत कमजोर। लेकिन यही कहानी का ट्विस्ट है। कमजोर समझा जाने वाला देश न कहने की हिम्मत दिखाता है और विश्व में प्रशंसा पाता है। यह देश था ग्रीस और 28 अक्टूबर 1940 को इसके शासक ने इटली के तानाशाह को 'ओही' (ओएक्सआई) यानी 'न' कहने का साहस किया।
तब से, हर वर्ष 28 अक्टूबर को ग्रीस 'ओही डे' मनाता है, जो केवल इतिहास का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और साहस का भी प्रतीक बन गया है।
रात के करीब तीन बजे इटली का एक अल्टीमेटम ग्रीस के प्रधानमंत्री इओआनिस मेटाक्सस के पास पहुंचा। इसमें इटली ने ग्रीस से मांग की थी कि वह अपनी भूमि पर इटली की सेना को प्रवेश की अनुमति दे। लेकिन मेटाक्सस ने बिना किसी झिझक के जवाब दिया- “ओही!” यह एक शब्द न केवल एक नेता का उत्तर था, बल्कि एक पूरे राष्ट्र की आवाज बन गया।
कुछ घंटों में इटली ने ग्रीस पर आक्रमण कर दिया और ग्रीको-इटालियन युद्ध की शुरुआत हुई। यह युद्ध लगभग सात महीनों तक चला, जिसमें दोनों पक्षों से हजारों सैनिक मारे गए।
उस ऐतिहासिक पल ने ग्रीस को साबित कर दिया कि उसकी आजादी बिकाऊ नहीं है। यही साहस आगे चलकर ग्रीक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गया। इसलिए 28 अक्टूबर आज भी ग्रीस और साइप्रस में गर्व और राष्ट्रभक्ति के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
एथेंस और अन्य शहरों में इस दिन परेड, झंडारोहण, और बच्चों के मार्च-पास्ट आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में देशभक्ति गीत गाए जाते हैं, स्मारकों पर लोग पहुंचते हैं और ग्रीक होने पर सम्मानित महसूस करते हैं। सड़कों पर 'ओएक्सआई' बड़े अक्षरों में लिखा दिखाई देता है - जो अब एक राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुका है।