क्या झारखंड में धर्मांतरण की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग कर रहा आदिवासी संगठन?

सारांश
Key Takeaways
- आदिवासी संगठन ने धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया है।
- धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग की गई है।
- राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया है।
- धार्मिक सभाएं बिना अनुमति आयोजित की जा रही हैं।
- समाजिक एकता को बनाए रखने की आवश्यकता है।
रांची, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में आदिवासियों के एक प्रमुख संगठन, आदिवासी सरना विकास समिति के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की और प्रदेश में चर्च मिशनरियों द्वारा कथित रूप से अंधविश्वास फैलाने एवं अवैध धर्मांतरण कराने की शिकायत की।
समिति ने इस संदर्भ में राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि रांची के नामकुम प्रखंड की हरदाग पंचायत के अंतर्गत ग्राम चांद में पिछले एक वर्ष से झारखंड महाअभिषेक चर्च के नाम पर बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के टेंट-पंडाल लगाकर धार्मिक सभाएं की जा रही हैं।
इन आयोजनों में यह दावा किया जाता है कि प्रभु यीशु के नाम पर प्रार्थना करने से अंधा, लंगड़ा, बहरा, गूंगा, एड्स और महामारी जैसी बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
समिति ने आरोप लगाया कि इस प्रकार की सभाओं के माध्यम से लोगों को बहलाकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस तरह के आयोजन अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहे हैं। बताया गया है कि द जीसस इज लाइफ चर्च मैदान, अनगड़ा में 20 से 22 अक्टूबर तक 'शुभ संदेश एवं प्रार्थना सभा' का आयोजन किया जाएगा।
इसी तरह एचईसी, धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में 23 से 25 अक्टूबर तक 'झारखंड रिवाइवल मीटिंग–2025' और गुमला के एयरोड्रम मैदान में 'झारखंड प्रार्थना महोत्सव' का आयोजन 15 से 17 अक्टूबर तक होगा।
समिति के सदस्यों ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिए जाएं। प्रतिनिधिमंडल में समिति के पदाधिकारियों के साथ कई सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल रहे।