क्या दिल्ली एलजी के आदेश पर आम आदमी पार्टी का हमला उचित है?

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क्या दिल्ली एलजी के आदेश पर आम आदमी पार्टी का हमला उचित है?

सारांश

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने हंगामा खड़ा कर दिया है। इसमें पुलिस अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति दी गई है। 'आप' का कहना है कि यह न्याय व्यवस्था के प्रति गंभीर खतरा है। जानिए इसके पीछे का पूरा सच!

Key Takeaways

  • दिल्ली एलजी का आदेश विवादास्पद है।
  • आम आदमी पार्टी ने हड़ताल की है।
  • पुलिस अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति दी गई है।
  • यह आदेश न्याय व्यवस्था को कमजोर कर सकता है।
  • भाजपा सरकार पर वकीलों को परेशान करने का आरोप।

नई दिल्ली, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा जारी उस अधिसूचना के खिलाफ विरोध का मोर्चा खोला है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में गवाही देने की अनुमति दी गई है। 'आप' का कहना है कि यह आदेश पूरी तरह अवैध और न्याय व्यवस्था को कमजोर करने वाला है।

'आप' के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा, "एलजी साहब का यह फरमान न्याय प्रणाली का मजाक है। पहले ही पुलिस पर सरकार के दबाव में झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोप लगते रहे हैं, अब उनकी मनमानी और बढ़ेगी। अदालतों में गवाही और वकीलों की जिरह की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी। इस आदेश के विरोध में दिल्ली की सभी जिला अदालतों में हड़ताल चल रही है। दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएशन ने भी एलजी के आदेश का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।"

भारद्वाज ने तंज कसा कि अगर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वकील पुलिस अधिकारी से तीखा सवाल पूछ लेगा, तो अधिकारी कैमरा बंद कर इंटरनेट खराब होने का बहाना बना सकता है और अगली सुनवाई में तैयार होकर आएगा। इससे गवाही की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होंगे और पूरी न्याय व्यवस्था प्रभावित होगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद दिल्ली में मिडिल क्लास पर हमला हुआ, स्कूलों की फीस बढ़ी, बिजली कटौती बढ़ी और डॉक्टरों पर हमले हुए, जिन पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। अब भाजपा सरकार वकीलों को परेशान कर रही है और न्याय व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

पार्टी के लीगल विंग के दिल्ली अध्यक्ष एडवोकेट संजीव नासियार ने कहा कि बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) आने के बाद से ही वकीलों ने कई प्रावधानों का विरोध किया था। गृह मंत्रालय ने तब लिखित आश्वासन दिया था कि पुलिस थाने से गवाही नहीं दी जा सकती। अब एलजी का नया आदेश उसी वादे के खिलाफ है। जब तक गवाह को कोर्ट में बुलाकर न्यायाधीश के सामने शपथ और जिरह नहीं होगी, तब तक न्याय प्रणाली कमजोर रहेगी। एलजी का यह आदेश पुलिस को अतिरिक्त शक्ति देने और आम जनता के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम का विरोध होना चाहिए। आम आदमी पार्टी का यह विरोध केवल एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि न्याय के लिए एक आवश्यक प्रयास है। हमें ऐसे निर्णयों का विरोध करना चाहिए जो न्याय प्रणाली को कमजोर करते हैं।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने का आदेश क्या है?
दिल्ली एलजी के आदेश के अनुसार, पुलिस अधिकारियों को अब थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में गवाही देने की अनुमति दी गई है। यह आदेश न्याय व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
आम आदमी पार्टी इस आदेश का विरोध क्यों कर रही है?
आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह आदेश अवैध है और इससे न्याय प्रणाली कमजोर होगी। पार्टी इसके खिलाफ हड़ताल कर रही है।
क्या इससे न्याय व्यवस्था पर असर पड़ेगा?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश से गवाही की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।