क्या दिल्ली-यूपी समेत 10 राज्यों में ईडी की छापेमारी से मेडिकल कॉलेजों में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश होगा?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी की छापेमारी ने 10 राज्यों में भ्रष्टाचार को उजागर किया।
- गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान हुआ है।
- कई सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगे हैं।
- यह कार्रवाई पारदर्शिता की दिशा में एक कदम है।
- भ्रष्टाचार के नेटवर्क का पर्दाफाश होना संभव है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को मेडिकल शिक्षा क्षेत्र से जुड़े एक कथित भ्रष्टाचार मामले में व्यापक कार्रवाई की। ईडी ने 10 राज्यों में 15 ठिकानों पर छापेमारी की, जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई 30 जून 2025 को दर्ज सीबीआई की एफआईआर (संख्या आरसी2182025A0014) से संबंधित है। इस एफआईआर में आरोप है कि कुछ सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई। इसके बदले में मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण से जुड़ी गोपनीय जानकारी साझा की गई, जिसमें राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के अधिकारी भी शामिल हैं।
जांच में पता चला है कि ये गोपनीय निरीक्षण विवरण मेडिकल कॉलेजों के प्रमुख प्रबंधकों और कुछ मध्यस्थों तक पहुंचाए गए। इस जानकारी का उपयोग आरोपियों ने निरीक्षण के मानदंडों में हेरफेर करने और मेडिकल कॉलेजों में अकादमिक पाठ्यक्रम चलाने के लिए अनुमति प्राप्त करने में किया।
ईडी की छापेमारी में सात मेडिकल कॉलेजों से जुड़े परिसरों को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, कई निजी व्यक्तियों के परिसरों पर भी कार्रवाई की गई, जो एफआईआर में आरोपी बताए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये लोग कथित रिश्वतखोरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
इस व्यापक कार्रवाई का उद्देश्य इस कथित नेटवर्क की जड़ तक पहुंचना और अवैध धन के प्रवाह का पता लगाना है। यह कार्रवाई सीबीआई की चल रही जांच से प्राप्त विस्तृत सुरागों पर आधारित है और इसका लक्ष्य इस भ्रष्टाचार के जाल को उजागर करना है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी इस कार्रवाई के जरिए कॉलेज प्रशासन और सरकारी अधिकारियों के बीच कथित भ्रष्टाचार नेटवर्क की पूरी तस्वीर सामने लाना चाहती है। यह कार्रवाई देशभर में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि जांच का फोकस न केवल संस्थागत परिसरों पर है, बल्कि व्यक्तिगत परिसरों पर भी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस तरह से रिश्वत और गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान किया गया। जल्द ही इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।