क्या आतंकवाद का जवाब देंगे, ‘बैरंग चिट्ठी’ आई तो उसका भी उत्तर मिलेगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को सख्त जवाब देगी।
- ऑपरेशन सिंदूर ने महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान किया।
- जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक बदलाव और स्थानीय युवाओं की सोच में बदलाव।
- भारत अब ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं है।
- मल्टी डोमेन लड़ाई की तैयारी का महत्व।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, "जो भी आतंकवाद को बढ़ावा देगा, हम उसका जवाब देंगे।"
सेना प्रमुख ने कहा, "यदि हमारे पास 'बैरंग चिट्ठी' भी आई, तो उसका भी उत्तर देंगे। हम स्पष्ट कर चुके हैं कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते, यानी बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। हम केवल यह कह रहे हैं कि यदि आप शांति की प्रक्रिया अपनाते हैं, तो हम भी साथ देंगे। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक आतंकवादी और उनके आका हमारे लिए समान हैं।"
सेनाध्यक्ष ने कहा कि भारत अब इतना संपन्न है कि वह किसी ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर पर उन्होंने कहा कि मूवी अभी शुरू भी नहीं हुई थी। यह पूरी फिल्म नहीं थी, बल्कि बस एक ट्रेलर था। यह ट्रेलर 88 घंटे में समाप्त हो गया। आगे आने वाले हालात के लिए हम अपनी पूरी तैयारी करके बैठे हैं। अगर पाकिस्तान हमें आने वाले दिनों में कोई मौका देता है, तो हम उसे भरपूर शिक्षा देना चाहेंगे कि कैसे एक जिम्मेदार देश को अपने पड़ोसियों से व्यवहार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हर ऑपरेशन से हम कोई न कोई शिक्षा ग्रहण करते हैं, ऐसे ही ऑपरेशन सिंदूर से भी हमने शिक्षा ग्रहण की है। सबसे पहला सबक हमने यह लिया कि निर्णय लेने के लिए समय बहुत कम है। निर्णय हमें हर स्तर पर लेना होगा। सभी को समय के अनुसार तैयारी करनी पड़ेगी और कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए इंटीग्रेशन होना चाहिए। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, साइबर, सीएपीएफ आदि का इंटीग्रेशन जितनी जल्दी करेंगे, उतना ही हम इस लड़ाई को साझे ढंग से लड़ सकेंगे। आज की लड़ाई मल्टी डोमेन है।
उन्होंने कहा, "अगर मैं बोलूं कि आर्मी अकेले लड़ेगी, तो वह नहीं लड़ सकती, हम सबको मिलकर लड़ना होगा। लड़ाई कितने घंटे, कितने दिन चलेगी, यह नहीं कहा जा सकता। आज तो 88 घंटे में यह लड़ाई खत्म हो गई, लेकिन कल को चार महीने या चार साल भी चल सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए क्या उस लड़ाई को लड़ने के लिए हमारे पास साजोसामान है? अगर नहीं हैं, तो हमें उसकी तैयारी करनी होगी। हमें चार साल तक की लड़ाई के लिए भी तैयारी करके रखनी होगी।"
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में डेटरेंस काम कर रहा है। हमारा डेटरेंस है, हम कहते हैं कि करेंगे, तो सामने वाला यकीन करता है कि ये कर देंगे। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर 2019 से जम्मू-कश्मीर के हालात में बहुत ज्यादा बदलाव आया है। जम्मू-कश्मीर से 35 ए हटने के बाद से बदलाव आया। पहले स्कूल में बच्चों से देश के झंडे का चित्र बनाने को कहा जाता था, तो बच्चे घर जाकर पूछते थे कि कौन से देश के झंडे का चित्र बनाना है, अब उन्हें पता है कि भारत के झंडे का ही चित्र बनाना है।
सेनाध्यक्ष ने बताया कि आतंकवाद में भी बहुत गिरावट आई है। इस बार 31 आतंकी मारे गए हैं, जिनमें से 61 प्रतिशत पाकिस्तानी आतंकवादी हैं। अब पत्थरबाजी और नारेबाजी नहीं होती है। सैलानियों की संख्या बढ़ी है, हर पैरामीटर में सकारात्मक बदलाव आया है। जम्मू कश्मीर के युवाओं का भारत से मोह बढ़ रहा है और पाकिस्तान से उनका मोहभंग हुआ है। जम्मू कश्मीर के जो लोग यहां के हालात से परेशान होकर बाहर चले गए थे, वे भी अब जम्मू कश्मीर में वापस आना चाहते हैं और यहां अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं।
भारत-चीन सीमा को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से हमारे रिश्तों में बहुत ज्यादा सुधार आया है। बीते वर्ष हमारे प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति के बीच हुई मुलाकात के बाद सकारात्मक बदलाव आए हैं। हमें संवाद के जरिए समाधान ढूंढना है। हमारे रक्षा मंत्री ने जून में वहां के रक्षा मंत्री से बात की है।
सेनाध्यक्ष का कहना है कि डिसएंगेजमेंट काफी हद तक हो गया है। मणिपुर की स्थिति पर सेनाध्यक्ष ने कहा कि मई 2023 में जो हादसे हुए, उनसे मुझे भी बहुत आंतरिक दुख हुआ था। मैंने मणिपुर में काम किया है। मणिपुर मेरे लिए एक स्वर्ग की तरह था, उसके हालात देखकर काफी दुख हुआ था। लेकिन फरवरी 2025 में जबसे राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है, तब से लोगों में आपसी विश्वास व सरकार के प्रति विश्वास बढ़ने लगा है। आज की तारीख में अगर आप देखेंगे तो काफी ज्यादा बदलाव आया है।