क्या लोकसभा को तत्काल भंग किया जाना चाहिए? चुनाव आयोग के बयान पर अभिषेक बनर्जी की बड़ी मांग

सारांश
Key Takeaways
- अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा भंग करने की मांग की है।
- चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों में अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
- यह मुद्दा बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण से जुड़ा है।
- विपक्षी दल चुनाव आयोग और सरकार पर हमलावर हैं।
- अभिषेक बनर्जी की मांग ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग (ईसीआई) और सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने 2024 में होने वाले आम चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, चुनाव आयोग के बयानों के आधार पर, इस देश के लोगों के साथ विश्वासघात किया गया है।
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "चुनाव आयोग ने कहा है कि विभिन्न राज्यों की मतदाता सूचियां, जिनके आधार पर बमुश्किल एक साल पहले यानी 2024 में आम चुनाव हुए थे, त्रुटिपूर्ण और अनियमितताओं से भरी हैं। अगर यह सच है और यदि भारत सरकार चुनाव आयोग के आकलन से सहमत है, तो एक वास्तविक 'एसआईआर' लागू करने और उच्च नैतिकता के आधार पर खड़े होने की दिशा में पहला कदम लोकसभा को तत्काल भंग करना है।"
उन्होंने लोकसभा को तत्काल भंग करने की मांग की। बनर्जी ने कहा, "अगर कोई 'एसआईआर' के विचार का सचमुच समर्थन करता है, तो चुनाव आयोग के अपने बयान के अनुसार, इस देश के लोगों के साथ विश्वासघात किया गया है। साथ ही, यदि नए मुख्य चुनाव आयुक्त सचमुच उतने ही सक्षम हैं, जितना दावा किया जा रहा है, तो 'एसआईआर' को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए, न कि चुनिंदा चुनावी राज्यों में।"
टीएमसी नेता ने यह दावा उस समय किया है, जब 'वोट चोरी' और हेरफेर के आरोपों को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दल चुनाव आयोग और सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी घमासान जारी है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली से लेकर बिहार तक विपक्ष मोर्चा खोल चुका है। चुनाव आयोग को कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में मतदाता सूचियों के प्रबंधन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में बनर्जी की लोकसभा भंग करने और देशव्यापी एसआईआर की मांग ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। ईसीआई की ओर से अभिषेक बनर्जी की मांगों पर आधिकारिक जवाब नहीं आया है।