क्या अबू धाबी का बीएपीएस हिन्दू मंदिर आध्यात्मिकता और एकता का अद्भुत प्रतीक है?

सारांश
Key Takeaways
- बीएपीएस हिन्दू मंदिर भारतीय संस्कृति का अद्भुत प्रतीक है।
- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंदिर की दिव्यता की सराहना की।
- मंदिर में जबलपुर की पवित्र मिट्टी है।
- यह मंदिर विश्व समुदाय के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र है।
- इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
अबू धाबी, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने अंतरराष्ट्रीय दौरे के दौरान अबू धाबी के भव्य बीएपीएस हिन्दू मंदिर का अवलोकन कर एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया। मंदिर की दिव्यता, सांस्कृतिक एकता और सेवा के मूल्यों से प्रभावित होकर उन्होंने इसे भारतीय अध्यात्म, सांस्कृतिक समरसता और सनातन मूल्यों का एक उत्कृष्ट वैश्विक प्रतीक बताया।
मंदिर परिसर में पूज्य स्वामीजी ने पारंपरिक विधि से मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्हें मंदिर के निर्माण, उद्देश्य और दर्शन से संबंधित जानकारी दी गई। मंदिर की भव्य स्थापत्य और श्रद्धा से भरी वातावरण ने सीएम यादव को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने विशेष रूप से उस प्रदर्शनी को सराहा जो 'सच्चे गुरु की सनातन भूमिका' पर आधारित थी। वहाँ उन्होंने निस्वार्थ सेवा और समर्पण के महत्व पर विचार करते हुए समाज सेवा को अपनी प्रतिबद्धता का एक और मजबूत आधार बताया।
मंदिर के अंदर सीएम मोहन यादव ने देवालयों में प्रार्थना की, और एक और भावनात्मक क्षण तब आया जब उन्हें ज्ञात हुआ कि इस मंदिर में जबलपुर की पवित्र मिट्टी भी विराजित है। यह मिट्टी परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की जन्मभूमि है।
सीएम मोहन यादव ने बीएपीएस संस्था की सराहना की, जिसने दुनिया के विभिन्न कोनों में शांति, भक्ति और भाईचारे के मूल्यों को फैलाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि महंत स्वामी महाराज के नेतृत्व में यह मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि विश्व समुदाय के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र बन चुका है। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह मंदिर दुनिया को भारतीय संस्कृति, सहिष्णुता और सेवा की अनमोल शिक्षाएं प्रदान करता रहेगा, और भारत की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और मजबूत बनाएगा।
ज्ञात हो कि 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीएपीएस हिन्दू मंदिर का उद्घाटन किया था। यह मंदिर 27 एकड़ भूमि पर स्थित है। इसके निर्माण में लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। इसमें भारत और अन्य देशों से लाए गए पत्थरों और संगमरमर का उपयोग किया गया है।