क्या हिलसा में जदयू बनाम राजद का कड़ा मुकाबला होगा?

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क्या हिलसा में जदयू बनाम राजद का कड़ा मुकाबला होगा?

सारांश

हिलसा विधानसभा क्षेत्र में 2025 के चुनावों के लिए जदयू, राजद और जनस्वराज पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां के मतदाता और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि चुनावी प्रक्रिया को और भी रोचक बनाते हैं। जानें इस क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति और प्रमुख मुद्दों के बारे में।

Key Takeaways

  • हिलसा विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर महत्वपूर्ण है।
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्षेत्र पर प्रभाव है।
  • कुर्मी और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
  • तीन प्रमुख उम्मीदवार इस बार चुनाव में भाग ले रहे हैं।
  • हिलसा का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थल इसे खास बनाते हैं।

पटना, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिलसा विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव संपन्न हो चुके हैं, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रभाव यहां स्पष्ट है, क्योंकि वे नालंदा जिले से आते हैं। उनकी समता पार्टी (जो बाद में जदयू में विलीन हुई) ने इस सीट पर पाँच बार जीत दर्ज की है।

कांग्रेस ने यहां 4 बार जीत हासिल की है। इसके अलावा, जनसंघ, बीजेपी, आरजेडी, जनता पार्टी और जनता दल ने भी इस सीट पर एक-एक बार जीत दर्ज की है। हिलसा में कुर्मी और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं, जबकि पासवान, रविदास और भूमिहार समुदाय के वोटरों की भी यहां अच्छी खासी संख्या है।

2020 के चुनाव में जेडीयू के कृष्ण मुरारी शरण ने आरजेडी के शक्ति सिंह यादव को कड़े मुकाबले में हराया। इस बार हिलसा विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू से कृष्ण मुरारी शरण, आरजेडी से अत्री मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव और जनस्वराज पार्टी से उमेश कुमार वर्मा चुनावी मैदान में हैं।

इस विधानसभा क्षेत्र में हिलसा, करायपरसुराय, थरथरी और परवलपुर प्रखंड शामिल हैं। यह कस्बा सोन और फल्गु नदियों के निकट स्थित है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं।

प्राचीन काल में हिलसा को 'हलधरपुर' कहा जाता था और इसका ऐतिहासिक जुड़ाव द्वापर युग से माना जाता है। यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल जैसे सूर्य मंदिर, काली मंदिर और बाबा अभयनाथ मंदिर इसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। हिलसा के आस-पास स्थित तेलहाड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां खुदाई के दौरान प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं। यह विश्वविद्यालय संभवतः गुप्तकाल या पाल वंश के समय का था और इसे नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के समकक्ष माना जाता है।

इसके अलावा औंगारी धाम, जो सूर्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां धार्मिक और पौराणिक मान्यता भी जुड़ी है। यह स्थल भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से भी जुड़ा हुआ है।

हिलसा विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ यहां की राजनीतिक हलचल भी क्षेत्र की चुनावी प्रक्रिया को दिलचस्प बनाती है। इस बार के चुनाव में तीन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने की संभावना है, जो इस सीट की राजनीतिक लड़ाई को और भी रोमांचक बना देगा।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। यहां की चुनावी लड़ाई एक बार फिर दिखाती है कि कैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर राजनीति को प्रभावित करती है। हमें उम्मीद है कि इस बार के चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होंगे, जिससे जनता की आवाज को सही मायनों में सुना जा सके।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

हिलसा विधानसभा क्षेत्र में कितने बार चुनाव हुए हैं?
हिलसा विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हिलसा पर क्या प्रभाव है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हिलसा विधानसभा क्षेत्र पर गहरा प्रभाव है, क्योंकि वे इसी नालंदा जिले से आते हैं।
इस बार के चुनाव में कौन-कौन से प्रमुख उम्मीदवार हैं?
इस बार जेडीयू से कृष्ण मुरारी शरण, आरजेडी से अत्री मुनि और जनस्वराज पार्टी से उमेश कुमार वर्मा चुनावी मैदान में हैं।
हिलसा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
हिलसा को प्राचीन काल में 'हलधरपुर' के नाम से जाना जाता था और इसका जुड़ाव द्वापर युग से है।
हिलसा के प्रमुख धार्मिक स्थल कौन से हैं?
हिलसा में सूर्य मंदिर, काली मंदिर और बाबा अभयनाथ मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
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