क्या अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच नया व्यापारिक मार्ग खोज लिया?
सारांश
Key Takeaways
- अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर निर्भरता कम की है।
- ईरान के साथ व्यापार १.६ बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
- चाबहार पोर्ट ने व्यापार को सुगम बनाया है।
- द्विपक्षीय व्यापार में घटाव हो रहा है।
- कृषि निर्यात में सकारात्मक रुझान है।
काबुल, १५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का तनाव अभी भी जारी है। इसका असर व्यापार पर बढ़ने लगा है, जिसके चलते काबुल ने उन व्यापारिक मार्गों की ओर कदम बढ़ाया है जो इस्लामाबाद पर उसकी निर्भरता को समाप्त करते हैं। ये नए मार्ग ईरान और मध्य एशिया से होकर गुजरते हैं।
स्थानीय मीडिया ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने के प्रयासों पर जोर दिया है। अरियाना न्यूज ने रॉयटर्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल सलाम जवाद अखुंदजादा ने बताया कि पिछले छह महीनों में ईरान के साथ काबुल का व्यापार १.६ बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पाकिस्तान के साथ हुए १.१ बिलियन डॉलर के व्यापार से कहीं अधिक है।
अखुंदजादा ने कहा कि चाबहार पोर्ट ने उनके देश की समस्याओं को आसान बना दिया है। दक्षिणपूर्वी ईरान में स्थित यह बंदरगाह भारत द्वारा विकसित किया गया है और इससे व्यापारियों को अपना सामान समय पर और बिना किसी दिक्कत के पहुंचाने में मदद मिल रही है। व्यापारियों का आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें यकीन हो गया है कि अब सीमा पर लगे बैन का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
राष्ट्र प्रेस ने पहले ही कहा था कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए तालिबान सरकार नए व्यापारिक मार्गों की खोज कर रही है।
हालिया हमलों के बाद दोनों ओर के व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष खान जान अलोकोजई ने 'पाहज्वोक अफगान न्यूज' को बताया कि आवागमन में रुकावट से दोनों पक्षों को प्रतिदिन १ मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि पहले रोज २,००० वाहन आते-जाते थे, लेकिन ये मार्ग कई हफ्तों से बंद हैं, जिससे सबसे ज्यादा फलों और सब्जियों के व्यापारियों को नुकसान पहुंचा है।
ये मार्ग ऐसे समय में बंद हुए जब अफगानिस्तान के कृषि संबंधी निर्यात में सकारात्मक रुझान दिख रहा था। पिस्ता, बादाम, किशमिश, खुबानी और अखरोट की बिक्री से देश की अर्थव्यवस्था को काफी लाभ हो रहा था।
पिछले महीने ही नई दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने चाबहार बंदरगाह की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह एक बेहतरीन व्यापारिक मार्ग है। इस पोर्ट ने काबुल को मजबूती दी है, जिससे वह वैकल्पिक मार्ग की ओर बढ़ रहा है।