क्या अगरतला में एसआईआर के खिलाफ सीपीआईएम का विरोध प्रदर्शन हो रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- सीपीआईएम ने भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
- मतदाता सूची के एसआईआर को लोकतंत्र-विरोधी बताया गया।
- विपक्षी दलों का भी समर्थन प्राप्त है।
- यह मुद्दा त्रिपुरा के आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों को प्रभावित कर सकता है।
- सामाजिक ध्रुवीकरण का खतरा है।
अगरतला, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ शुक्रवार को अगरतला सहित पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने इसे भाजपा को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई 'लोकतंत्र-विरोधी कार्रवाई' करार दिया।
यह विरोध रैली त्रिपुरा के पैराडाइज चौमुहानी से आरंभ हुई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एसआईआर के खिलाफ नारे लगाए।
विपक्ष के नेता और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी टिपरा मोथा ने चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद बताया कि मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए राज्य में भी इसी तरह की एसआईआर प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
उन्होंने दावा किया कि यह कदम आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच फूट डालने और अपने राजनीतिक लाभ के लिए नागरिकों का ध्रुवीकरण करने के लिए उठाया गया है।
माकपा नेता ने तर्क दिया कि अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें निर्वासित करना केंद्रीय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है, चुनाव आयोग की नहीं।
उन्होंने गृह मंत्रालय पर त्रिपुरा में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जिसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ने और बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर टिपरा मोथा की चुप्पी की भी आलोचना की।
चौधरी ने कहा कि चुनाव आयोग के पास अवैध प्रवासियों की पहचान करने का कोई अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र और बिहार के बाद यह भाजपा और उसके सहयोगियों के फायदे के लिए एसआईआर को लागू करने का एक और प्रयास है।
उन्होंने आगे कहा कि माकपा सहित देश भर के प्रमुख राजनीतिक दल इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने पहले ही एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करने का संकल्प लिया और इसे 'लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला' बताया, जिसका देशव्यापी विरोध किया जाना चाहिए।