क्या 'आई लव मोहम्मद' कहना गुनाह है? हर मुसलमान का हक: एसटी हसन

सारांश
Key Takeaways
- धार्मिक भावनाओं का सम्मान होना चाहिए।
- कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।
- सामाजिक समानता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना जरूरी है।
- क्रिकेट मैचों में सट्टेबाजी बढ़ रही है।
- हर मुसलमान का अधिकार है अपने पैगंबर के प्रति प्रेम व्यक्त करना।
मुरादाबाद, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एसटी हसन ने 'आई लव मोहम्मद' कहने के विवाद पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि यह कहना हर मुसलमान का अधिकार है और इसे अपराध की तरह नहीं देखना चाहिए। 'आई लव मोहम्मद' कहना कोई गुनाह नहीं है। यह हमारे दिलों में बसा हुआ है। यह वह नाम है जिसके लिए मुसलमान सब कुछ कुर्बान कर सकता है। अगर इसके लिए किसी पर मुकदमा दर्ज किया गया है, तो हम इसका प्रबल विरोध करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब लोग 'जय श्री राम' कहते हैं, तो इसे स्वीकार किया जाता है, लेकिन जब मुसलमान अपने पैगंबर के प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं, तो उन्हें निशाना बनाया जाता है। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए और धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने की आज़ादी सभी को मिलनी चाहिए।
इसके साथ ही, हसन ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर भी अपत्ति जताई। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब देश अभी दुख से उबर नहीं पाया है, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा, "हम हमेशा इस तरह के मैचों के खिलाफ रहे हैं। पहलगाम में हमारी बहनों के साथ जो हुआ, उसका दुख अभी खत्म नहीं हुआ है। हमारी आंखों के आंसू सूखे भी नहीं हैं और हम मैच खेलने के लिए तैयार हो गए। हार-जीत से परे, क्या उस देश के साथ खेलना सही है? दोस्ताना मैच दोस्तों के साथ खेला जाता है।"
एसटी हसन ने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजनों में सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता है, जिसे नहीं रोका जा रहा। सरकार और खिलाड़ियों को इससे पैसा मिलता है, लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं है। हमें अपनी भावनाओं और देश की गरिमा का भी ध्यान रखना चाहिए।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि कांवड़ पर उत्पात मचाने वालों को तो हाथ नहीं लगाया गया, लेकिन आई लव मोहम्मद का पोस्टर दिखाने पर टांगें तोड़ दी गईं, ये साफ नफरत है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एसटी हसन ने कहा कि कांवड़ियों पर फूल बरसाए जाते हैं, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन अगर दूसरे धर्म के लोग अपनी धार्मिक भावनाएं व्यक्त करते हैं, तो उन्हें अपराधी ठहराया जाता है। कानून सभी के लिए बराबर होना चाहिए। धार्मिक भेदभाव को खत्म करने के लिए समाज में समानता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना जरूरी है।