क्या मौलाना अरशद मदनी के विचार से सभी वाकिफ हैं: अजय आलोक?
सारांश
Key Takeaways
- मौलाना मदनी का बयान धार्मिक विचारों को लेकर विवादित है।
- अजय आलोक ने उनके विचारों पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
- राजनीतिक चर्चाएं देश में एकता और अखंडता को प्रभावित कर सकती हैं।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अजय आलोक ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमानों को 'वंदे मातरम' पढ़ने या गाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे धार्मिक रूप से मानने या गाने की बाध्यता नहीं हो सकती, क्योंकि इसका अर्थ इस्लाम की आस्था के विपरीत है।
अजय आलोक ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मौलाना अरशद मदनी के बयान पर कहा कि ये उनके विचार हैं, और पूरा देश इनसे परिचित है। क्या अल्लाह किसी को जिहाद करने की सिख देता है? क्या अल्लाह कहता है कि अल फजाह यूनिवर्सिटी, जिसमें से आतंकवादी निकले हैं, को समर्थन दो?
नवजोत कौर सिद्धू को कांग्रेस से निलंबित किए जाने पर अजय आलोक ने कहा कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा बयान दिया ताकि उन्हें हटा दिया जाए। वैसे भी कांग्रेस में कौन रहना चाहता है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी पर संसद में अपने भाषण के दौरान वंदे मातरम के रचयिता और महान बंगाली कवि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' कहने पर आपत्ति जताई। इस पर भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चाहे सीएम ममता बनर्जी हों या कांग्रेस पार्टी, उनके पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है, इसीलिए वे निराश हैं। 'दा' हमेशा सम्मान का प्रतीक होता है, ये बात शायद ममता दीदी भूल गई हैं। पता नहीं क्यों वंदे मातरम के नाम से इन लोगों के पैर कांप रहे हैं।
बता दें कि सीएम ममता बनर्जी ने अपने बयान में कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को 'bunkim-da' कहना कभी स्वीकार्य नहीं है। यह किसी भी परिचित व्यक्ति को 'श्याम-दा' या 'हरि-दा' कहने जैसा लगता है। देश के राष्ट्रगीत रचयिता का ऐसा अपमान देशवासी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। फिर भी, उनकी गलती अक्षम्य होगी। उन्होंने देश की संस्कृति और इतिहास का अपमान किया है।