क्या आजीविका मिशन से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं? पीएम मोदी के विजन का असर!
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है।
- सरकारी योजनाओं से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है।
- जैविक खेती से आर्थिक लाभ संभव है।
- सही मार्गदर्शन से महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है।
- समाज में महिला शक्ति की पहचान बन रही है।
बुरहानपुर, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और महिला सशक्तिकरण की सोच आज गांव-गांव में नई मिसाल पेश कर रही है। मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर बुरहानपुर जिले के ग्राम बसाड़ की रजनी वर्मा ने यह साबित किया है कि अगर सही मंच और मार्गदर्शन मिले तो ग्रामीण महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त बन सकती हैं।
रजनी दीदी ने आजीविका मिशन के माध्यम से कृषि सखी प्रशिक्षण लेकर नर्सरी, जैविक खाद और जैविक दवाइयों के निर्माण को आजीविका का साधन बना लिया है। अब वे खेती, पशुपालन और जैविक उत्पादों के जरिए हर महीने 20 से 25 हजार रुपए तक की आय कर रही हैं। उनका कहना है कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों और महिला केंद्रित योजनाओं का नतीजा है, जिन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास दिया है।
रजनी दीदी न केवल स्वयं को आगे बढ़ा रही हैं, बल्कि अन्य किसानों और महिलाओं को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं। आजीविका मेलों में उनके उत्पादों की अच्छी मांग है और उनकी नई यूनिट से अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है।
रजनी दीदी सहित जिले की हजारों महिलाएं मानती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चल रही योजनाओं ने उन्हें पहचान, सम्मान और आत्मनिर्भरता दी है। महिलाएं कहती हैं कि आज वे अपने पैरों पर खड़ी हैं, जिसका बड़ा योगदान सरकार की नीयत और नीतियों का है। यह कहानी महिला शक्ति और आत्मनिर्भर भारत की सशक्त तस्वीर पेश करती है।
बुरहानपुर की आत्मनिर्भर महिला रजनी वर्मा का कहना है कि मैं एकता महिला संगठन के साथ जुड़ी हुई हूं। मैंने अर्क बनाने की मशीन स्थापित की है। हम इसे सांगली से लेकर आए हैं। हम गौमूत्र एकत्रित करके इसे फ़िल्टर करते हैं, जो पौधों पर फंगस को रोकने में मदद करता है।
उन्होंने बताया कि हम नीमास्त्र (जैविक खेती में इस्तेमाल होने वाला प्राकृतिक कीटनाशक) भी बनाते हैं। यह गौमूत्र को बिना फ़िल्टर किए बनाया जाता है। नीमास्त्र बनाने के लिए गौमूत्र में अदरक और लहसुन का पेस्ट मिलाया जाता है। हम खाद भी बनाते हैं। केले के रेशे से भी खाद बनाते हैं और इसे छिड़काव वाली दवा बनाते हैं। मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं क्योंकि उन्होंने हम जैसी गरीब महिलाओं को रोजगार दिया है और हम आगे बढ़ रहे हैं।
बुरहानपुर के गांव पतोंडा की जैनू तड़वी 'जन जागृति आजीविका स्वयंसहायता समूह' से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हम जैसी पढ़ी-लिखी गृहिणियों के पास पहले कोई काम नहीं था, लेकिन पीएम मोदी की योजनाओं के कारण अब हम आत्मनिर्भर हैं। मैं लखपति की श्रेणी में आ गई हूं।
उन्होंने कहा कि हमने सांगली से मशीन लाकर यूनिट स्थापित की है। कई महिलाएं हमारे साथ काम कर रही हैं। हम केले से खाद और दवाई दोनों बना रहे हैं। हमारी आय अच्छी हो रही है।
बुरहानपुर की जिला अधिकारी आजीविका मिशन संतमती खलको ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि रजनी दीदी साईराम स्वयंसहायता समूह की सदस्य हैं। वे हमारे जिले की मास्टर ट्रेनर हैं। वे जैविक खाद और कई दवाइयां बना रही हैं। दीदियां गोबर, केले के तने, पल्प और गौमूत्र से अर्क बना रही हैं, जो केमिकल-फ्री है। यह एक देशी दवाई है, जिससे उत्पादन अच्छा होता है।
उन्होंने कहा कि ये सभी आत्मनिर्भर हैं। वे ट्रेनिंग भी देती हैं। वे लखपति दीदी भी हैं।